गंगा हो गई साफ, रिपोर्ट से खुलासा

गंगा हो गई साफ, रिपोर्ट से खुलासा, बिहार में भी लोग पवित्र कर सकेंगे अपना तन! Ganga Water quality improved in Bihar and Uttarakhand

गंगा हो गई साफ, रिपोर्ट से खुलासा
Modified Date: November 29, 2022 / 07:47 pm IST
Published Date: March 12, 2022 2:19 pm IST

नयी दिल्ली: Ganga Water quality बिहार और उत्तराखंड राज्यों में गंगा नदी की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है और अब जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) में कमी आने के साथ यहां इसका पानी नहाने योग्य है। इससे स्पष्ट है कि नदी के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई है। बीओडी पानी की गुणवत्ता तय करने का अहम मानक है। इसका अभिप्राय जैविक जंतुओं द्वारा ऑक्सीजन के उपभोग से है। निम्न मूल्य होने का अभिप्राय पानी की बेहतर गुणवत्ता से है। आंकड़ों के मुताबिक गंगा का पानी नहाने के मानक के अनुकूल मिला जो अन्य तथ्यों के साथ प्रति लीटर पानी में तीन मिलीग्राम बीओडी की मांग होने पर होता है।

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Ganga Water quality ‘पीटीआई-भाषा’ से साझा किए गए आंकड़ों में गंगाजल की वर्ष 2015 और 2021 की तुलना की गई है। जिसके मुताबिक उत्तराखंड (हरिद्वार से सुल्तानपुर तक) और बिहार (बक्सर से भागलपुर तक )के हिस्से में गंगाजल में बीओडी का स्तर तीन मिलीग्राम प्रति लीटर रहा जो अप्रदूषित की श्रेणी में आता है। स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय मिशन (एनएमाीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने बताया कि गंगा नदी के दो अन्य मार्गों जो उत्तर प्रदेश के कन्नौज से वाराणसी के बीच और पश्चिम बंगाल में त्रिवेणी से डायमंड हार्बर के बीच प्रदूषण का स्तर श्रेणी पांच में रहा जो न्यूनतम है। इस श्रेणी में बीओडी का स्तर प्रति लीटर तीन से छह मिलीग्राम होता है।

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आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 के मुकाबले 2021 में जल गुणवत्ता में सुधार आया है क्योंकि बिहार में बीओडी का स्तर 7.8 से 27 मिलीग्राम प्रति लीटर (दूसरी श्रेणी) था जबकि उत्तर प्रदेश में यह तीसरी श्रेणी यानी 3.8 से 16.9 मिलीग्राम प्रति लीटर बीओडी थी। हालांकि, वर्ष 2015 के मुकाबले वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल से गुजरने वाली गंगा के हिस्से के बीओडी में बहुत सुधार नहीं हुआ और मामूली सुधार के साथ त्रिवेणी से डायमंड हार्बर तक यह पांचवी श्रेणी में बनी रही। यह 3.1 से 5.8 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर 1.3 से 4.3 मिलीग्राम प्रति लीटर पर आ गई। उल्लेखनीय है कि बीओडी छह मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होने पर पानी को प्रदूषित माना जाता है और उपचारात्मक कार्रवाई की जरूरत होती है।

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लेखक के बारे में

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