नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सहायता प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं है और सरकार को शिक्षण संस्थानों को मदद देने के बारे में फैसला करने के लिए वित्तीय बाधाओं तथा कमियों जैसे कारकों को संज्ञान में लेना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जब सहायता प्राप्त संस्थानों की बात आती है तो अल्पसंख्यक और गैर-अल्पसंख्यक संस्थान के बीच कोई अंतर नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा, ‘‘सहायता प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए किसी मामले में अगर सहायता रोकने का नीतिगत फैसला लिया जाता है तो कोई संस्थान इसे अधिकार का विषय बताकर प्रश्न नहीं खड़ा कर सकता।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कोई संस्थान इस तरह की सहायता संबंधी शर्तों को स्वीकार नहीं करना चाहता और उनका पालन नहीं करना चाहता तो अनुदान से इनकार करने का फैसला लेने का अधिकार उसे है।
भाषा वैभव माधव
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