श्रीनगर लोकसभा सीट के मतदान प्रतिशत पर गुलाम नबी आजाद और महबूबा मुफ्ती के विचार अलग-अलग

श्रीनगर लोकसभा सीट के मतदान प्रतिशत पर गुलाम नबी आजाद और महबूबा मुफ्ती के विचार अलग-अलग

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  • Publish Date - May 14, 2024 / 08:01 PM IST,
    Updated On - May 14, 2024 / 08:01 PM IST

श्रीनगर, 14 मई (भाषा) लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में श्रीनगर सीट पर हुए मतदान प्रतिशत पर टिप्पणी करते हुए डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मतदान के ये आंकड़े इतने अधिक नहीं हैं, जिससे पता चल सकेगा कि लोग अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से खुश हैं या नाराज हैं।

दूसरी ओर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महूबबा मुफ्ती ने कहा कि यह संदेश है कि लोगों ने केंद्र के फैसलों को स्वीकार नहीं किया है।

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को 2019 में निरस्त किये जाने के बाद घाटी में पहली बार हो रहे चुनाव के तहत सोमवार को श्रीनगर सीट पर कुल 37.98 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। निर्वाचन आयोग (ईसी) ने कहा कि यह ‘दशकों में सबसे अधिक मतदान’ था।

डीपीएपी के अध्यक्ष आजाद ने मंगलवार को कहा, ”पिछले सात-आठ वर्षों के दौरान जो भी बदलाव हुए, उसे देखते हुए मुझे उम्मीद थी कि कश्मीर में 80 से 90 प्रतिशत मतदान होगा। अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया, राज्य का दर्जा छीन लिया गया, इसलिए मुझे लगा था कि इस बार 90 से 95 प्रतिशत तक मतदान होगा।”

आजाद ने कुलगाम जिले में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए संवाददाताओं से कहा, ”कुछ प्रतिशत का इजाफा शायद ही मायने रखता है, क्योंकि यह भारत के हर निर्वाचन क्षेत्र में होता है। इस तरह हम यह नहीं जान सकते कि लोग (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य का दर्जा छीनने से) नाराज हैं या खुश हैं। यह मेरे लिए एक नई चीज है।”

पुलवामा के त्राल शहर जैसे आतंकवाद प्रभावित इलाकों में मतदान प्रतिशत में हुए इजाफे पर आजाद ने कहा कि पूरे भारत में हर चुनाव के बाद मतदान में कुछ प्रतिशत की वृद्धि होना सामान्य बात है।

उन्होंने कहा, ”वहां कुछ क्षेत्र आतंकवाद से प्रभावित थे। 1994-95 के बाद आतंकी घटनाएं कम होने लगीं। आज आतंकवाद न के बराबर है। आतंकवाद से प्रभावित इलाकों में भी 30-40 फीसदी मतदान हुआ है और जो इलाके प्रभावित नहीं थे, वहां भी इतना ही मतदान हुआ है।

दूसरी तरफ, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि श्रीनगर लोकसभा सीट पर उच्च मतदान प्रतिशत ये संदेश है कि लोगों ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और उसके बाद जम्मू-कश्मीर के संबंध में अन्य फैसलों को स्वीकार नहीं किया है।

मुफ्ती ने अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले काजीगुंड में संवाददाताओं से कहा, ”कल का मतदान प्रतिशत अच्छा था, क्योंकि लोग दिल्ली को यह संदेश देना चाहते थे कि 2019 में और उसके बाद हमारी भूमि, राज्य के विषयों और नौकरियों के संबंध में लिया गया निर्णय जम्मू-कश्मीर के लोगों को स्वीकार्य नहीं है।”

पीडीपी अध्यक्ष अनंतनाग राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। इस सीट पर 25 मई को मतदान होगा।

उन्होंने कहा, ”मैं निर्वाचन आयोग को बताना चाहूंगी कि जहां भी पीडीपी के पक्ष में मतदाताओं का रुझान अधिक था, वहां मतदान जानबूझकर धीमा कर दिया गया। मैं चाहती हूं कि राजौरी-पुंछ-अनंतनाग-कुलगाम-वाची के लोग जरुर मतदान करें, भले ही इसके लिए उन्हें 10 घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़े।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीनगर लोकसभा सीट पर ”अच्छे” मतदान का अनंतनाग-राजौरी सीट पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

महबूबा मुफ्ती ने कहा, ”अनंतनाग-कुलगाम की स्थिति बिल्कुल श्रीनगर और पुलवामा जैसी है, जहां लोग घुटन महसूस करते हैं। मुझे यकीन है कि अनंतनाग-कुलगाम-राजौरी और पुंछ में बड़ी संख्या में लोग अपना आक्रोश व्यक्त करने और संसद के जरिए पूरे देश में अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मतदान करने आएंगे।”

जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीट में से उधमपुर में 19 अप्रैल को और जम्मू में 26 अप्रैल को मतदान हुआ। सोमवार को श्रीनगर में हुए चुनाव के साथ कश्मीर घाटी में पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ।

बारामूला में 20 मई को मतदान होगा। कुछ राजनीतिक दलों से ज्ञापन मिलने के बाद निर्वाचन आयोग ने अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर चुनाव की तारीख को 7 मई से बदलकर 25 मई कर दिया था।

भाषा

प्रीति दिलीप

दिलीप