उपहार मामला: अंसल बंधुओं को राहत नहीं देने वाला अदालती आदेश विपरीत नहीं : उच्च न्यायालय |

उपहार मामला: अंसल बंधुओं को राहत नहीं देने वाला अदालती आदेश विपरीत नहीं : उच्च न्यायालय

उपहार मामला: अंसल बंधुओं को राहत नहीं देने वाला अदालती आदेश विपरीत नहीं : उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : January 19, 2022/10:36 pm IST

नयी दिल्ल, 19 जनवरी (भाषा) दिल्ली पुलिस ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले से जुड़े सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में रियल एस्टेट दिग्गज सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराने और याचिका के लंबित रहने तक उनको रिहा करने से इनकार करने वाला आदालत का आदेश ना तो विपरीत और ना ही स्तब्ध करने वाला है कि इसमें हस्तक्षेप की जरूरत पड़े।

विशेष लोक अभियोजक (एसएसपी) दयान कृष्णन ने याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद से अनुरोध किया कि वह निचली आदलत के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करें। यह याचिका अंसल बंधुओं और एक अन्य दोषी अनूप सिंह करायत की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें सात साल की सजा को निलंबित करने की मांग की गई है। कृष्णन ने कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ का मामला न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास से जुड़ा मामला है।

इस मामले में न्यायाधीश ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि छेड़छाड़ की गई थी, तो लंबे समय से चल रहे इस मामले में न्याय शीघ्र होना चाहिए, सत्र अदालत को अपीलों पर शीघ्र निर्णय लेना है। कृष्णन ने दोषी व्यक्तियों की रिहाई का विरोध किया और कहा कि महामारी याचिकाकर्ताओं की अपील को अनुमति देने का आधार नहीं हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के कारण रिहाई पर संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई नीतिगत निर्णय अभी नहीं लिया गया है और उनके लिए कोई विशेष स्थान भी नहीं बनाया जा सकता।

उच्च न्यायालय ने कहा कि वह उपहार त्रासदी के पीड़ितों के संघ (एवीयूटी) पर सुनवाई अगली तारीख यानी 20 जनवरी को करेगा। न्यायमूर्ति प्रसाद ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से पूछा कि अदालत को ऐसे मामले से कैसे निपटना चाहिए जिसमें ‘अमीर और शक्तिशाली’ लोगों द्वारा ‘अदालत के अंदर रिकॉर्ड से छेड़छाड़’ शामिल है। इस पर करायत के वकील तरुण चांडियोक ने कहा कि उनका मुवक्किल न तो शक्तिशाली था और न ही अमीर और अंसल बंधुओं से अलग है। लेकिन कृष्णन ने तर्क दिया कि मामला दोष सिद्धि के बाद के चरण से संबंधित है, इसलिए किसी भी दोषी को कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए। गोपाल अंसल की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र 70 साल से अधिक है इसलिए अदालत को अपने व्यापक और उदार नजरिये को अपनाते हुए उसे रिहा करना चाहिए।

भाषा संतोष नरेश

नरेश

 

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