नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) गंगा नदी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं के नमूने एकत्र करने का ग्रीष्मकालीन अभियान कोविड-19 महामारी के कारण पूरा नहीं होने के कारण राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने नदी के उद्गम से गंगा सागर तक ‘‘सूक्ष्म जीवाणु विविधता की जीआईएस मैपिंग’’ करने की इस परियोजना की अवधि एक साल के लिए और बढ़ाने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के एक अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘ हाल ही में मिशन की कार्यकारी समिति की 37वीं बैठक हुई जिसमें परियोजना को 12 महीने का विस्तार देने के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की गई। परियोजना का कार्यकाल अब सितंबर 2022 तक होगा, जो पहले पांच सितंबर 2021 तक था । ’’
गौरतलब है कि गंगा नदी में सूक्ष्म जीवाणु विविधता की जीआईएस मैपिंग करने की परियोजना 6 सितंबर 2019 को 24 माह के लिए शुरू की गई थी । इसकी अनुमानित लागत 9.33 करोड़ रूपये थी। इस परियोजना को राष्ट्रीय पर्यावरण, इंजीनियरिंग शोध संस्थान (नीरी) संचालित कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना के तहत गंगा नदी में सूक्ष्म जीवाणुओं के नमूने एकत्र करने का काम कोविड-19 महामारी के कारण बाधित हो गया। उन्होंने बताया कि ऐसे में राष्ट्रीय पर्यावरण, इंजीनियरिंग शोध संस्थान ने परियोजना की कार्य अवधि एक वर्ष बढ़ाने का अनुरोध किया था ।
सूत्रों ने बताया कि एनएमसीजी के कार्यकारी समिति की बैठक में इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया। इस पर 38.37 लाख रूपये का अतिरिक्त व्यय होगा। उन्होंने कहा कि परियोजना की अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले, विशेषज्ञों के साथ इसकी समीक्षा की जा सकती है।
इस परियोजना के प्रस्ताव में कहा गया है कि गंगा में पाए जाने वाले जीवाणुओं के बारे में अनेक रिपोर्ट हैं लेकिन इन जीवाणुओं के संबंध में कोई रिकार्ड नहीं है। ऐसे में जीवाणुओं के विस्तार के बारे में परिणाम आधारित जीआईएस मैपिंग राष्ट्रीय महत्व की होगी ।
भाषा दीपक दीपक मनीषा
मनीषा
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