अहमदाबाद, 25 अप्रैल (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने 18 जनवरी की नाव त्रासदी के संबंध में तत्कालीन वडोदरा नगर निगम आयुक्त के खिलाफ विभागीय जांच का बृहस्पतिवार को आदेश दिया, क्योंकि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने 2015-16 में ‘कोटिया प्रोजेक्ट्स’ को हरनी लेकफ्रंट परियोजना के लिए अवैध रूप से ठेका दिया था।
इस साल 18 जनवरी को हरनी झील में एक नाव पलटने से 12 छात्रों और दो शिक्षकों की मौत हो गई थी।
घटना की स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. माई की खंडपीठ ने गुजरात के शहरी विकास और शहरी आवास विभाग के प्रधान सचिव को वडोदरा नगर निगम के तत्कालीन प्रमुख के खिलाफ विभागीय जांच कराने तथा दो माह के भीतर इसे पूरा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि जांच के दौरान अन्य अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारी (यदि कोई हो) को भी ध्यान में रखा जाएगा।
अदालत ने कहा कि ‘कोटिया प्रोजेक्ट्स’ को ठेका देते समय सार्वजनिक अनुबंध की निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘नगर निगम आयुक्त के हलफनामे से रिकॉर्ड पर लाये गये तथ्यों से पता चलता है कि यह स्पष्ट है कि नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त अवैध रूप से अनुबंध देने के लिए जिम्मेदार हैं।’
खंडपीठ ने यह भी कहा, ‘‘हालांकि, हमारी इस राय को निगम के तत्कालीन नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के लिए केवल प्रथम दृष्टया राय के रूप में माना जाना चाहिए।’’
भाषा सुरेश रंजन
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