गुजरात दंगे: उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट देने का फैसला बरकरार रखा |

गुजरात दंगे: उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट देने का फैसला बरकरार रखा

गुजरात दंगे: उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट देने का फैसला बरकरार रखा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : June 24, 2022/12:15 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की एक पीठ ने मामले को बंद करने संबंधी 2012 में सौंपी गई एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा।

शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। जकिया ने 2002 के गुजरात दंगों में एक बड़ी साजिश का आरोप लगाया था।

कांग्रेस नेता एवं सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे। जकिया जाफरी ने एसआईटी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को मामले में दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी।

जकिया ने उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ दिसंबर को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान एसआईटी ने कहा था कि जकिया के अलावा किसी ने भी 2002 दंगे मामले में हुई जांच पर ‘‘सवाल नहीं उठाए’’ हैं।

इससे पहले जकिया के वकील ने कहा था कि 2006 मामले में उनकी शिकायत है कि ‘‘एक बड़ी साजिश रची गई, जिसमें नौकरशाही की निष्क्रियता और पुलिस की मिलीभगत थी और अभद्र भाषा एवं हिंसा को बढ़ावा दिया गया।’’

भाषा निहारिका सिम्मी

सिम्मी

 

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