नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) नफरती भाषणों के मामले में उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर करने वालों ने अलीगढ़ जिलाधिकारी को पत्र लिख कर उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती कार्रवाई करने का आग्रह किया है कि अलीगढ़ में प्रस्तावित कार्यक्रम में उस तरह के कोई भाषण नहीं दिये जाएं, जैसा कि हरिद्वार में हुई ‘धर्म संसद’ में दिये गए थे।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस से उस याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसमें हाल में हरिद्वार और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दो कार्यक्रमों के दौरान कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता इस तरह की घटनाओं के संबंध में संबंधित स्थानीय अधिकारियों को एक प्रतिवेदन देने के लिए स्वतंत्र हैं। पीठ ने यह बात याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा यह बताए जाने के बाद कही कि एक ‘धर्म संसद’ अलीगढ़ में होने वाली है।
सिब्बल ने दलील दी थी कि कुछ और आयोजनों की योजना है, जिनमें कई भड़काऊ भाषण दिये जाने की आशंका है।
याचिकार्ताओं ने उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदान की गई स्वतंत्रता के अनुसार अलीगढ़ के जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि 22-23 जनवरी को अलीगढ़ में अब एक और ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उन लोगों के फिर से भाषण देने की आशंका है, जिन्होंने पिछले साल 17-19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया था।
पत्र में कहा गया है, ” भीड़ हिंसा की किसी भी संभावित घटना से बचने के लिये एहतियाती उपाय करना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है, और आप अलीगढ़ में प्रशासन के प्रभारी हैं, इसलिए इस तरह के भाषण न दिये जाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती कार्रवाई करने की जिम्मेदारी आपके ऊपर है।”
भाषा जोहेब सुभाष
सुभाष
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