उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को गरीबों को किराया देने संबंधी घोषणा पर नीति बनाने के आदेश पर रोक लगा दी |

उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को गरीबों को किराया देने संबंधी घोषणा पर नीति बनाने के आदेश पर रोक लगा दी

उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को गरीबों को किराया देने संबंधी घोषणा पर नीति बनाने के आदेश पर रोक लगा दी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : September 27, 2021/5:50 pm IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड महामारी के दौरान किराये का भुगतान करने में असमर्थ गरीब किरायेदारों के किराये का सरकार द्वारा भुगतान करने की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की घोषणा पर अमल के लिए नीति बनाने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को दिये गये निर्देश पर सोमवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 22 जुलाई को आप सरकार को यह निर्देश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की अपील पर नोटिस जारी किया। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 29 नवंबर तय की।

एकल पीठ ने कहा था कि अगर स्थगन का आदेश पारित नहीं किया गया तो अपीलकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी। इस पीठ ने यह भी कहा था कि नागरिकों से किया गया मुख्यमंत्री का वादा लागू करने योग्य है।

पीठ ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया मामला अपीलकर्ता के पक्ष में है। हम सुनवाई की अगली तारीख तक एकल न्यायाधीश के आदेश के संचालन, कार्यान्वयन और निष्पादन पर रोक लगाते हैं।’’

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनीष वशिष्ठ ने दावा किया कि महामारी के प्रकोप की पृष्ठभूमि में, मुख्यमंत्री द्वारा बड़े पैमाने पर जनता से ‘‘अपील’’ की गई थी कि वे किराएदारों को किराए का भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं करें।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से तो यह कोई वादा ही नहीं था। हमने सिर्फ इतना कहा कि कृपया प्रधानमंत्री के बयान का पालन करें। हमने मकान मालिकों से कहा (कि) किराएदारों को किराया देने के लिए मजबूर न करें..और अगर कुछ हद तक, गरीब लोग भुगतान नहीं कर पाते हैं, तो सरकार इस पर गौर करेगी।’’

पीठ ने उनकी बात पर गौर करते हुए कहा, ‘‘तो आपका भुगतान करने का कोई इरादा नहीं है? यहां तक कि पांच फीसदी भुगतान भी।” वरिष्ठ वकील ने इस पर जवाब दिया कि ‘‘केवल तभी जब स्थिति की मांग हो।’’

याचिकाकर्ताओं दिहाड़ी मजदूरों और श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील गौरव जैन ने किसी भी तरह के स्थगन का विरोध किया। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किलों के पास किराए की राशि का भुगतान करने का कोई साधन नहीं है।

भाषा

देवेंद्र अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)