गुवाहाटी, 20 जुलाई (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि वह जल्द बांग्लादेश की यात्रा पर जाएंगे ताकि दोनों देशों के दशकों पुराने संबंधों को और मजबूत किया जा सके।
इस मौके पर उन्होंने बांग्लादेश की आजादी के लिए वर्ष 1971 में हुए युद्ध में असम के योगदान को याद किया। इस युद्ध को बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी और भारतीय सशस्त्रों बलों ने मिलकर लड़ा था।
सरमा ने यह बात ‘मुक्तियोद्धाओं’ के 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से संवाद करते हुए कही। यह प्रतिनिधिमंडल तीन दिवसीय गुवाहाटी और शिलांग यात्रा पर आया है।
प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद सरमा ने मंगलवार शाम को ट्वीट किया, ‘‘ यह दौरा आजादी का अमृत महोत्सव और बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग द्वारा आयोजित स्वर्णिम विजय वर्ष उत्सव और असम सरकार की पहल का हिस्सा है।’’
गौरतलब है कि भारत, आजादी के 75वें साल को ‘ आजादी का अमृत महोत्व’ के तौर पर मना रहा है जबकि स्वर्णिम विजय वर्ष पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1971 में मिली जीत के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ बांग्लादेश मुक्ति संग्राम ऐतिहासिक घटना थी जिसमें असम के नौ बहादुर सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। असम पुलिस के कुछ अधिकारियों ने मुक्ति वाहिनी के सदस्यों को प्रशिक्षण और साजो सामान दिया।’’
उन्होंने कहा,‘‘असम के नागरिक समाज ने भी पूर्वी बंगाल से शरणार्थी बनकर आए लोगों की मदद के लिए आगे आए थे।’’
सरमा ने कहा कि उन्हें बांग्लादेश के विदेश मंत्री का उनके देश आने का न्योता मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं गंभीरता से इस आमंत्रण को सम्मान देने की कोशिश करूंगा ताकि भारत और बांग्लादेश के बीच सभ्यता के स्तर पर स्थापित संबंधों को और मजबूती मिले।’’
इस बीच, बांग्लादेश के विभिन्न समाचार संगठनों के संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों का एक 19 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी सोमवार को गुवाहाटी पहुंचा।
भाषा धीरज नरेश
नरेश
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