गुवाहाटी, 13 अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को जलभराव की समस्या से पीड़ित गुवाहाटी के लोगों से मेघालय में ‘अवैज्ञानिक पहाड़ी कटाई’ को रोकने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से संपर्क करने का आग्रह किया।
शर्मा की लोगों से यह अपील ऐसे समय में आई है, जब एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार मेघालय के एक निजी विश्वविद्यालय के खिलाफ एनजीटी का दरवाजा खटखटाएगी।
उन्होंने दावा किया था कि विश्वविद्यालय ने अपने परिसर में पहाड़ियों को गिरा दिया है, जिससे गुवाहाटी में बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया है।
शर्मा ने यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘जोराबाट इलाके में अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ काटने की वजह से गुवाहाटी में जलभराव बढ़ गया है। जो लोग मेरी आलोचना करते हैं, उन्हें गौर करना चाहिए कि शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में दिसपुर और आसपास के इलाकों में जलभराव अधिक गंभीर है, जो जोरबट के करीब हैं।’
शर्मा का आरोप विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेघालय (यूएसटीएम) के खिलाफ था। इसकी स्थापना महबूबुल हक ने की थी और वह इसके कुलाधिपति भी हैं।
यह विश्वविद्यालय पड़ोसी राज्य मेघालय के री-भोई जिले के 9वें माइल क्षेत्र में अंतर-राज्यीय सीमा पर जोराबाट के पास स्थित है। यह गुवाहाटी के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में कार्य करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘समस्या (जलभराव की) से पीड़ित लोग एनजीटी से संपर्क कर सकते हैं और मेघालय में कुछ हद तक पहाड़ों की कटाई को रोक सकते हैं, जिससे समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा।’
भाषा
शुभम दिलीप
दिलीप