कश्मीर से अचानक गायब हुई बर्फ! आगे भी बर्फबारी की संभावना नहीं, देखें हैरान करने वाले वीडियो

Jammu Kashmir Snowfall News: जनवरी के महीने में भी बर्फबारी की संभावना बहुत कम होने की वजह से लद्दाख का क्षेत्र संभावित सूखे जैसी स्थिति की ओर बढ़ रहा है। कश्मीर मौसम विभाग के अनुसार 25 जनवरी तक इन क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी की बहुत कम संभावना है।

कश्मीर से अचानक गायब हुई बर्फ! आगे भी बर्फबारी की संभावना नहीं, देखें हैरान करने वाले वीडियो

Jammu Kashmir Snowfall News

Modified Date: January 15, 2024 / 01:12 pm IST
Published Date: January 15, 2024 1:11 pm IST

Jammu Kashmir Snowfall News: जम्मू-कश्मीर में न सिर्फ ठंड के समय पर बल्कि सभी मौसम में यहां पर बर्फबारी होती रहती है लेकिन 2024 का पहला ही महीना जम्मू कश्मीर के लिए चिंता भरी खबर लेकर आया है। दरअसल, जनवरी के महीने में भी बर्फबारी की संभावना बहुत कम होने की वजह से लद्दाख का क्षेत्र संभावित सूखे जैसी स्थिति की ओर बढ़ रहा है। कश्मीर मौसम विभाग के अनुसार 25 जनवरी तक इन क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी की बहुत कम संभावना है। हालांकि, दो कमजोर पश्चिमी विक्षोभ आएंगे, लेकिन वो सिर्फ ऊंचे पहाड़ों पर थोड़ी बर्फबारी ही लाएंगे। जाहिर है कि इस महीने भी कश्मीर घाटी या लद्दाख में बर्फबारी नहीं होगी।

कश्मीर की गुरेज घाटी के तुलैल इलाके में शनिवार (13 जनवरी) की सुबह कुछ बर्फबारी हुई थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस क्षेत्र में केवल एक इंच से अधिक बर्फबारी हुई, लेकिन जनवरी के दौरान घाटी आमतौर पर 10-20 फीट तक बर्फ से ढकी हुई दिखाई देती थी, जो चिंता बढ़ा रही है।

 

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जनवरी में नहीं होगी बर्फबारी

मौसम विभाग की माने तो जनवरी के अंत तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कोई बारिश और बर्फबारी की भविष्यवाणी नहीं की गई है। यहां अधिकतम तापमान भी 13-15 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है, जो सामान्य से 10-12 डिग्री अधिक है। जबकि कश्मीर घाटी में अभी भी पानी की आपूर्ति को फिर से भरने के लिए अगले दो महीनों में कुछ बारिश और बर्फबारी की उम्मीद है। हालांकि, बर्फबारी नहीं होने के कारण श्रीनगर-कारगिल की तरफ लद्दाख से सड़क संपर्क खुला हुआ है, क्योंकि जोजिला दर्रे पर बर्फ नहीं है। आमतौर पर दिसंबर से 4-5 महीनों तक बर्फबारी के कारण यह रास्ता बंद रहता है।

बर्फबारी नहीं होने से खुली सड़कें

जनवरी के दौरान इस क्षेत्र का तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज होने के कारण फल और सब्जियां बहुत अधिक ठोस हो जाती थीं, जिससे भंडारण करने और बेचने में मुश्किल हो जाती थी। लद्दाख के लोग इस बात से खुश हैं कि कम बर्फबारी के कारण सड़कें खुली हैं। वहीं जानकार उम्मीद से अधिक गर्म तापमान के कारण बागवानी और कृषि को बड़े नुकसान की चेतावनी दे रहे हैं।

कश्मीर मौसम विभाग के निदेशक की माने तो यहां मौसम के पैटर्न में बदलाव की वजह से फलों के पेड़ों में जल्दी फूल आ सकते हैं। इससे उत्पादन पर गंभीर असर पड़ेगा क्योंकि अभी भी सर्दी है, इसके कारण किसी भी समय तापमान में अचानक गिरावट हो सकती है।

 

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नदियों के बहाव में आई गिरावट

कश्मीर घाटी में कम या बिल्कुल बर्फबारी की सूचना नहीं मिलने से स्थानीय लोगों को कृषि, बागवानी और पेयजल आपूर्ति पर असर पड़ने का डर सताने लगा है। चिंता को बढ़ाने वाली बात यह है कि नदियों में पानी के बहाव में अनुमानित गिरावट आई है, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 100 फीसदी बिजली की आपूर्ति करने वाली जलविद्युत परियोजनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। किसानों को आने वाले महीनों में कम या बिल्कुल भी बर्फबारी नहीं होने का परिणाम भुगतना पड़ेगा। जब वे अपने बगीचों और खेतों में काम करना शुरू करेंगे तो गर्मियों में पानी की कमी होगी।

पर्यटकों को भी हाथ लगी निराशा

कश्मीर पर्यटकों के लिए एक बहुत ही पसंदीदा जगह रही है, लेकिन इस वर्ष कश्मीर की ठंडी वादियों का मजा लेने जाने वाले पर्यटकों को भी निराशा हाथ लगी है। गुलमर्ग में ही जो नजारा देखने को मिल रहा है वह काफी हैरान करने वाला है। यह सभी हालात स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पूरे पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी बताई जा रही है। जानकारों की माने तो यह सैकड़ों साल के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा नजारा दिखा है कि बर्फ की चादर ओढ़े रहने वाला कश्मीर अब बीरान सा नजर रहा है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com