राजस्थान में अतिवृष्टि प्रभावित इलाकों में आवश्यक सेवाओं को सुचारू करने के निर्देश

राजस्थान में अतिवृष्टि प्रभावित इलाकों में आवश्यक सेवाओं को सुचारू करने के निर्देश

राजस्थान में अतिवृष्टि प्रभावित इलाकों में आवश्यक सेवाओं को सुचारू करने के निर्देश
Modified Date: September 5, 2025 / 11:41 pm IST
Published Date: September 5, 2025 11:41 pm IST

जयपुर, पांच सितंबर (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों को अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में संवेदनशीलता और तत्परता के साथ आवश्यक सेवाओं के सुचारू संचालन के विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं। आधिकारिक बयान में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई।

बयान के अनुसार, शर्मा के निर्देशानुसार राज्य के अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं और आम जनता की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं जिसके तहत दुर्घटना संभावित स्थानों पर सूचना बोर्ड लगाए जा रहे हैं और नागरिकों को सतर्क व जागरूक किया जा रहा है।

राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष का टोल-फ्री नंबर और जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष का टोल-फ्री नंबर लगातार सक्रिय हैं।

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बयान के अनुसार, ‘‘मौजूदा मानसून के दौरान राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और सिविल डिफेंस की टीमों ने अब तक 1,155 व्यक्तियों को सकुशल निकाला है। इस समय पूरे राज्य में एसडीआरएफ की 62 टीम, एनडीआरएफ की सात टीम, और सिविल डिफेंस की टीम सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।’’

इसमें कहा गया कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद से जलमग्न क्षेत्रों से लोगों को हवाई मार्ग के रास्ते सुरक्षित आश्रय स्थलों तक पहुंचाया जा रहा है और राहत शिविरों में भोजन, स्वच्छ जल और दवाइयों की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।

बयान में कहा गया कि इसी तरह, राज्य में खरीफ 2025 में अतिवृष्टि से फसल नुकसान के आकलन हेतु एक अगस्त 2025 से गिरदावरी का कार्य प्रारंभ किया गया है।

इसके अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान अब तक राज्य में औसत वास्तविक बारिया 608.65 मिलीमीटर दर्ज की गई है, जो सामान्य से 62.50 प्रतिशत अधिक है। इस अवधि में प्रदेश के 22 जिलों में वर्षा ‘‘असामान्य’’ श्रेणी में दर्ज की गई है जिनमें अजमेर, बूंदी, कोटा, टोंक, नागौर, सवाई माधोपुर, सीकर, धौलपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर और करौली जैसे जिले प्रमुख रूप से शामिल हैं।

भाषा पृथ्वी

खारी

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