अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सात संस्थानों में प्रयोगशाला’ स्थापित करेगा इन-स्पेस
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सात संस्थानों में प्रयोगशाला’ स्थापित करेगा इन-स्पेस
नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के संवर्धक भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने देशभर के सात शैक्षणिक संस्थानों में अंतरिक्ष प्रयोगशाला स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
‘इन-स्पेस’ के अनुसार, अंतरिक्ष प्रयोगशाला अपनी तरह की पहली पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रयोगशालाएं स्थापित करना है ताकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण और प्रत्यक्ष अनुभव मिल सके।
‘इन-स्पेस’ ने भारत के चुनिंदा शैक्षणिक संस्थानों में अंतरिक्ष प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रण (आरएफपी) जारी किया है।
देश के कई उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले ही अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं और ऐसी प्रयोगशालाएं छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के साथ-साथ देश में उभर रहे निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने में मदद करेंगी।
‘इन-स्पेस’ के संवर्धन निदेशालय के निदेशक विनोद कुमार ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सार्थक सहयोग को बढ़ावा देना और भारत के अग्रणी वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बनने के दीर्घकालिक लक्ष्य का समर्थन करना है।
योजना के तहत देश के सात अलग-अलग क्षेत्रों से चरणबद्ध तरीके से अधिकतम सात शैक्षणिक संस्थानों का चयन किया जाएगा।
‘इन-स्पेस’ परियोजना की कुल लागत का अधिकतम 75 प्रतिशत तक वित्तीय सहयोग देगा, जिसकी सीमा प्रति संस्थान पांच करोड़ रुपये होगी। यह राशि परियोजना के विभिन्न चरणों और लक्ष्यों से जुड़ी प्रगति के आधार पर जारी की जाएगी।
‘इन-स्पेस’ द्वारा जारी आरएफपी के अनुसार, कम से कम पांच वर्ष पुराने, राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में 200 के भीतर रैंक वाले और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थान इस योजना के तहत आवेदन करने के पात्र होंगे।
कुमार ने कहा कि छात्रों, शोधकर्ताओं और उद्योग के लिए साझा कार्यस्थल उपलब्ध कराकर ये प्रयोगशालाएं अनुप्रयुक्त अनुसंधान, प्रारंभिक चरण के नवाचार और उद्योग की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप कौशल विकास को बढ़ावा देंगी।
इन संस्थानों से प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं के लिए उद्योग जगत के सहयोग को भी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
वर्तमान में लगभग आठ अरब अमेरिकी डॉलर की भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के 2033 तक बढ़कर 44 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इस तेज वृद्धि को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता होगी।
भाषा खारी रंजन
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