प्रयागराज कुंभ का आगाज, संगम में सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा ने किया शाही स्नान

प्रयागराज कुंभ का आगाज, संगम में सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा ने किया शाही स्नान

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  • Publish Date - January 15, 2019 / 04:20 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

रायपुर। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला प्रयागराज कुंभ आज मकर संक्रांति के साथ शुरू हो गया। आज सुबह करीब 6 बजे सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा ने शाही स्नान कर संगम पर डुबकी लगाई। इसके साथ ही 49 दिन तक चलने वाले कुंभ की शुरुआत हो गई। आज से लेकर 4 मार्च तक कुल 49 दिन चलने वाले इस कुंभ में करीब 13 से 15 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है।

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इसमें करीब 10 लाख विदेशी नागरिक शामिल होंगे। हर अखाड़े के स्नान का समय तय किया गया है। हर अखाड़े को स्नान के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है। कुंभ 2019 को अब तक का सबसे दिव्य और भव्य कुंभ बताया जा रहा है। पहली बार मेला क्षेत्र करीब 45 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। पहले यह सिर्फ 20 वर्ग किलोमीटर इलाके में ही होता था। मेले में 50 करोड़ की लागत से 4 टेंट सिटी बसाई गई हैं, जिनके नाम कल्प वृक्ष, कुंभ कैनवास, वैदिक टेंट सिटी, इन्द्रप्रस्थम सिटी हैं।

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कुंभ के दौरान प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर बस जाता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुंभ के आयोजन पर 4300 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इस बार कुंभ की थीम- स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ है। सरकार ने 10 करोड़ लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें कुंभ में आने का निमंत्रण भी दिया है। इस बीच प्रशासन ने कुंभ के पहले शाही स्नान को देखते हुए आज से 16 जनवरी तक सभी 12 वीं तक स्कूल और कॉलेजों बंद रखे जाने का फैसला लिया है। आज पहले दिन ही कुंभ का पहला शाही स्नान होगा। इस स्नान का बड़ा महत्व है।

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कहा जाता है कि ये सीधे स्वर्ग के दरवाजे खोल देता है। तय वक्त पर सभी अखाड़ों के साधु-संत संगम पर शाही स्नान करेंगे। आपको बता दें कि सदियों से कुंभ स्नान चला आ रहा है, जिसमें 13 अखाड़े शामिल होते हैं। ये कोई वैदिक परंपरा नहीं है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 14 वीं से 16 वीं सदी के बीच हुई, तब देश पर मुगल शासकों के आक्रमण की शुरुआत हो गई थी। धर्म और परंपरा को मुगल आक्रांताओं से बचाने के लिए हिंदू शासकों ने अखाड़े के साधुओं और खासकर नागा साधुओं से मदद ली।