वंदे भारत एक्सप्रेस बनाने वाले इंजीनियर का खुलासा, ‘मंजूरी के लिए पकड़ लिए थे रेलवे बोर्ड चेयरमैन के पैर’

  •  
  • Publish Date - March 18, 2023 / 11:00 AM IST,
    Updated On - March 18, 2023 / 11:00 AM IST

Incredible story of Vande Bharat: (नई दिल्ली) भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस के क्रियेटर सुधांशु मणि ने बड़ा खुलासा किया हैं। उन्होंने बताया हैं की उनके इस आइडिया को मंजूरी नहीं मिलने की आशंका थी लिहाजा उन्होंने रेलवे बोर्ड चेयरमैन के पैर पकड़ लिए थे। उन्होंने कह दिया था की वह तभी पैर छोड़ेंगे जब उन्हें वंदे भारत की मंजूरी दी जाएगी।

बता दें की 38 साल के अनुभव के साथ रेलवे से सेवानिवृत्त हुए मैकेनिकल इंजीनियर सुधांशु मणि, भारत की पहली आधुनिक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन के पीछे के योजनाकार माने जाते है, आज उनकी इस योजना को ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ के नाम से जाना जाता है।

बहु पर थी ससुर की गंदी नजर, अकेला पा कर बार-बार बनाता रहा संबंध, पति भी देता था साथ

Incredible story of Vande Bharat: इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री यानी आईसीएफ के पूर्व महाप्रबंधक के रूप में, मणि ने ट्रेन18 यानी वंदे भारत एक्सप्रेस प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया और जरूरी मंजूरियां हासिल की। यह पूरी परियोजना उनके ही देखरेख में पूरा हुआ। उल्लेखनीय हैं की मणि ने इस पूरे प्रोजेक्ट को विदेशी लागत से एक तिहाई कम की लागत में पूरा कर लिया। सरकार भी मानती हैं की स्वदेशी होने की वजह से ही देश में सेमी हाई स्पीड ट्रेन का सपना पूरा हुआ।

उन्होंने एक मजेदार वाकया साझा करते हुए बताया की “रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष लगभग 14 महीने में सेवानिवृत्त होने वाले थे। इसलिए हमें काम निकालने के लिए झूठ बोलना पड़ा। हमने कहा था कि ये ट्रेन उनके रिटायरमेंट से पहले बनकर तैयार हो जाएगी और वो ही इसका उद्घाटन करेंगे। जबकि हम जानते थे कि इतने कम समय में इस काम को पूरा करना संभव नहीं है।’ इसके बाद वो मंजूरी का प्रयास करते रहे लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मंजूरी नहीं मिली।

इस जिले में गरज चमक के साथ हो रही झमाझम बारिश, लोगों को मिली गर्मी से राहत

Incredible story of Vande Bharat: मणि ने कहा, उसने अधिकारी के पैर पकड़ लिए और कहा कि वह तभी जाने देगा जब उसे परियोजना के लिए अनुमति दी जाएगी। आखिरकार हमें इस ट्रेन को बनाने की अनुमति मिल ही गई। इसकी मंजूरी मिलते ही पूरी टीम ने इस पर काम करना शुरू कर दिया। यह एक प्रोजेक्ट था, इसलिए इसे एक नाम की जरूरत थी। तभी हमने इसका नाम “ट्रेन 18” रखा। हमारी मेहनत रंग लाई जब हमने 18 महीने में एक ऐसी ट्रेन बनाई जिसे विदेश में बनने में 3 साल का समय लगता। बाद में इसका नाम “वंदे भारत” रखा गया।

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक