अंटार्कटिका में पर्यटन के विनियमन के लिए समान विचारों वाले देशों के साथ बातचीत कर रहा है भारत

अंटार्कटिका में पर्यटन के विनियमन के लिए समान विचारों वाले देशों के साथ बातचीत कर रहा है भारत

  •  
  • Publish Date - May 9, 2024 / 04:44 PM IST,
    Updated On - May 9, 2024 / 04:44 PM IST

नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) भारत अंटार्कटिका में विनियमित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम कर रहा है क्योंकि पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि से श्वेत महाद्वीप में संवेदनशील पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचने का खतरा है।

केरल के कोच्चि में होने वाली अंटार्कटिक संधि सलाहकार बैठक (एटीसीएम) और पर्यावरण संरक्षण समिति (सीईपी) की 20 मई से 30 मई तक होने वाली बैठक में अंटार्कटिका में पर्यटन को विनियमित करने पर चर्चा एजेंडे में होगी।

यहां ‘पीटीआई’ के संपादकों के साथ एक बातचीत में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा, “समस्या यह है कि अंटार्कटिका में पर्यटन को ठीक से विनियमित नहीं किया गया है। इसलिए इस साल इसके नियमन पर चर्चा हो रही है।”

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अंटार्कटिका के लिए सर्वोच्च शासी निकाय एटीसीएम की 46वीं बैठक और 26वीं सीईपी बैठक की मेजबानी कर रहा है।

रविचंद्रन ने आम जनता के लिए अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान केंद्रों की यात्रा की सुविधा प्रदान करने की योजना का भी संकेत दिया।

जब उनसे पूछा गया कि क्या एक आम आदमी अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान केंद्रों का दौरा कर सकता है, तो उन्होंने कहा, “बहुत जल्द, हम इसे देखेंगे।”

विनियमन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, रविचंद्रन ने अनियमित पर्यटन के साथ वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, भारत, समान विचारधारा वाले अन्य देशों के साथ, अंटार्कटिका में विनियमित पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

रविचंद्रन ने कहा, “भारत अंटार्कटिका में विनियमित पर्यटन को बढ़ावा देता है और उसे काल्पनिक रूप से सब कुछ नहीं खोलना चाहिए। हमने यह शुरू किया और कई समान विचारधारा वाले देश भी इसमें शामिल हुए।”

गोवा से दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन और वहां से ‘श्वेत महाद्वीप’ तक जहाज पर यात्रा करने वाले शोधकर्ताओं के लिए अंटार्कटिका की यात्रा का अनुमानित खर्च प्रति व्यक्ति एक करोड़ रुपये है।

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र(एनसीपीओआर) के निदेशक थंबन मेलोथ ने कहा कि भारत अंटार्कटिका में दो सक्रिय अनुसंधान केंद्र – मैत्री और भारती – संचालित करता है। उन्होंने कहा कि यहां देशभर के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक साल भर शोध करते हैं।

अंटार्कटिका में अनुसंधान अड्डों को बनाए रखने के लिए सरकार को हर साल 150 से 200 करोड़ रुपये के बीच खर्च करना पड़ता है।

रविचंद्रन ने इस बात पर जोर दिया कि अंटार्कटिका में भारत के अनुसंधान केंद्रों का सावधानीपूर्वक रखरखाव किया जाता है, यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण किया जाता है कि उन्हें मूल स्थिति में रखा जाए।

अंटार्कटिका में पर्यटन की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, जब पर्यटक आपूर्ति जहाजों पर यात्रा करते थे और पिछले कुछ वर्षों में यह संख्या लगातार बढ़ी है।

‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ अंटार्कटिका टूर ऑपरेटर्स’ (आईएएटीओ) ने 2022-23 के लिए 32,730 केवल क्रूज पर्यटकों, 71,346 क्षेत्र में उतरने वाले पर्यटकों और 821 गहरे क्षेत्र में जाने वालों की सूचना दी।

भाषा

प्रशांत माधव

माधव