अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है भारत, प्रधानमंत्री मोदी को मसीहा मानते हैं सिख: एनसीएम अध्यक्ष लालपुरा |

अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है भारत, प्रधानमंत्री मोदी को मसीहा मानते हैं सिख: एनसीएम अध्यक्ष लालपुरा

अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है भारत, प्रधानमंत्री मोदी को मसीहा मानते हैं सिख: एनसीएम अध्यक्ष लालपुरा

Edited By :  
Modified Date: February 4, 2025 / 07:59 PM IST
,
Published Date: February 4, 2025 7:59 pm IST

नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने मंगलवार को कहा कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए “स्वर्ग” है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सिख पिछले 10 वर्षों में समुदाय के लिए किए गए कार्यों के लिए ‘मसीहा’ मानते हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालपुरा ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर बात की।

उन्होंने कहा, “भारत अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है। मैं बताना चाहूंगा कि 1951 की जनगणना के अनुसार, अल्पसंख्यक आबादी 16 और बहुसंख्यक 84 प्रतिशत थी। चार बार कोई अल्पसंख्यक राष्ट्रपति और एक बार प्रधानमंत्री बना। आप कुछ भी कर सकते हैं, अगर आप अजहरुद्दीन हैं, तो आप भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हो सकते हैं, अगर आप बिशन सिंह बेदी हैं, तो आप कप्तान बन सकते हैं, फारुख इंजीनियर को खेलने से कोई नहीं रोक सकता।”

उन्होंने यह भी बताया कि एक फील्ड मार्शल ( सैम मानेकशॉ) और एक एयर मार्शल (अर्जन सिंह) भी अल्पसंख्यक समुदाय से रहे हैं।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी और भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य लालपुरा ने कहा, ‘भारत ने सभी अवसर दिए हैं, अब केंद्रीय सेवाओं में 62 अधिकारी मुस्लिम समुदाय से हैं, 11 जैन समुदाय से हैं। जो भी सक्षम है वह जहां चाहे वहां पहुंच सकता है।’

लालपुरा ने यह दावा भी किया कि सिख प्रधानमंत्री मोदी से बहुत खुश हैं क्योंकि उन्होंने समुदाय के लिए पिछले 10 वर्षों में जो किया है, वह पहले किसी ने करने के बारे में सोचा भी नहीं था।

एनसीएम अध्यक्ष ने कहा, ‘उन्होंने करतारपुर गलियारा खुलवाया… वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने सिखों के इतिहास का ध्यान रखा है और लाल किले से गुरु तेग बहादुर की चौथी जन्मशती मनायी है, जहां से उनकी हत्या का आदेश दिया गया था। वर्तमान सरकार सिख समुदाय के सभी मुद्दों को हल करने पर काम कर रही है।”

उन्होंने कहा, ‘लोग मोदी जी से प्यार करते हैं, वे उन्हें मसीहा कहते हैं। मैं सिखों के हित में प्रधानमंत्री मोदी के योगदान पर एक किताब लिख रहा था और मैं ‘मसीहा’ शब्द का इस्तेमाल करना चाहता था, लेकिन उन्होंने मुझे ऐसा करने से रोक दिया और कहा, ‘मैं मसीहा नहीं हूं। इसके बाद मुझे ‘सेवक’ शब्द का इस्तेमाल करना पड़ा।”

अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा से संबंधित चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर लालपुरा ने कहा कि समाज में व्यक्तिगत अपराध हमेशा से रहा है।

उन्होंने कहा, “भारत में, मैं दावे और अनुभव से कह सकता हूं, मैंने (वास्तविक अर्थों में) सांप्रदायिक हिंसा का एक भी उदाहरण नहीं देखा। मैं नूंह (जहां 2023 में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी) गया था, उन्होंने मुझे बताया कि हिंदुओं ने मस्जिदों और मुसलमानों ने हिंदू मंदिरों को बचाया। वे एक साथ रह रहे थे…जहांगीरपुरी (दिल्ली) में भी यही स्थिति थी।”

एनसीएम अध्यक्ष ने कहा, “इसलिए हमें व्यवस्था बिगाड़ने वाले अपराधियों की पहचान करनी होगी। जहां तक ​​घृणा से प्रेरित अपराध का सवाल है, अमेरिका में सिखों के खिलाफ अधिक घृणा अपराध हुए हैं।’

उन्होंने पूछा कि लोग पाकिस्तान को क्यों नहीं देख रहे हैं जहां विभाजन के समय अल्पसंख्यकों की आबादी 22 फीसदी थी।

उन्होंने कहा, “जिस दिन हम गुरु नानक की 500वीं जयंती मना रहे थे, उस दिन ननकाना साहिब गुरुद्वारे के ग्रंथी की बेटी ने इस्लाम कबूल कर लिया।”

लालपुरा ने कहा, “अगर आप क्रिकेट खेलना चाहते हैं तो आप यूसुफ योहाना बनकर नहीं खेल सकते, आपको मोहम्मद यूसुफ बनना होगा।”

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का भी यही हाल है जहां अल्पसंख्यकों की आबादी कम हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘इसलिए भारत अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है। उन्हें सभी अवसर मिल रहे हैं। जहां तक ​​विकास कार्यों का सवाल है, विकास के लिए 200 से अधिक योजनाएं हैं और सभी अल्पसंख्यकों के लिए उपलब्ध हैं। वास्तव में, उनके लिए लगभग 240 योजनाएं हैं।’

वक्फ विधेयक के बारे में एनसीएम के अध्यक्ष ने कहा कि वक्फ का मतलब दान है और इस दान का इस्तेमाल समुदाय के कल्याण के लिए करना होता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कानून से मुसलमानों को मदद मिलेगी।

समान नागरिक संहिता पर उन्होंने कहा कि यह संपत्ति के स्वामित्व, गोद लेने और तलाक के अधिकार के बारे में है।

लालपुरा ने कहा कि इसके लिए सर्वसम्मति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह किसी भी तरह से धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप नहीं है।

भाषा जोहेब प्रशांत

प्रशांत

Follow Us

Follow us on your favorite platform:

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)