भारतीय कारीगरों को विशिष्ट जीआई टैग हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए : राष्ट्रपति मुर्मू
भारतीय कारीगरों को विशिष्ट जीआई टैग हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए : राष्ट्रपति मुर्मू
नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारतीय शिल्पकारों ने अपने ज्ञान, समर्पण और कड़ी मेहनत से अपनी वैश्विक पहचान स्थापित की है तथा अब उन्हें अपने उत्पादों के लिए एक विशिष्ट जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मुर्मू ने यहां 2023 और 2024 के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि यह जीआई टैग अब भारतीय शिल्पकारों के उत्पादों की पहचान और विश्वसनीयता को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है।
उन्होंने कहा, “मैं इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से अनुरोध करती हूं कि वे अपने विशिष्ट उत्पादों के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ें। इससे आपके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान मिलेगी तथा आपकी विश्वसनीयता बढ़ेगी।”
इसके अलावा, एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल जैसी योजनाएं भी भारत के क्षेत्रीय हस्तशिल्प उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मजबूत कर रही हैं।
जीआई टैग एक ऐसा नाम या चिह्न है जो किसी उत्पाद को किसी विशिष्ट स्थान से उत्पन्न होने वाले, उस स्थान से जुड़े अद्वितीय गुणों, प्रतिष्ठा या विशेषताओं से युक्त बताता है। यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और क्षेत्रीय विविधता पर प्रकाश डालता है।
इस टैग वाले उत्पाद अपने अद्वितीय गुणों और पारंपरिक शिल्प कौशल के लिए पहचाने जाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हस्तशिल्प न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। यह क्षेत्र देश में 32 लाख से ज़्यादा लोगों को रोजगार देता है।’’
उन्होंने कहा, “कला के प्रति उनका समर्पण, कड़ी मेहनत व प्रतिबद्धता हमारी परंपराओं को जीवित रखती है। मेरा मानना है कि कलाकारों का रचनात्मक अभ्यास भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है।”
सशक्तीकरण और सतत विकास के लिए हस्तशिल्प क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने पिछले दशक में इस क्षेत्र को मजबूत करने के वास्ते कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
अब, 1.5 लाख से अधिक हस्तशिल्प इकाइयां सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) से जुड़ चुकी हैं।
भाषा प्रशांत नेत्रपाल
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