चीन मामलों के विशेषज्ञ हैं भारत के नए सीडीएस, कश्मीर में आतंक रोधी अभियानों का अनुभव |

चीन मामलों के विशेषज्ञ हैं भारत के नए सीडीएस, कश्मीर में आतंक रोधी अभियानों का अनुभव

चीन मामलों के विशेषज्ञ हैं भारत के नए सीडीएस, कश्मीर में आतंक रोधी अभियानों का अनुभव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : September 30, 2022/1:08 pm IST

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) भारत के नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने, गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच, एक कुशल रणनीतिज्ञ और उम्दा कमांडर के रूप में चीन के प्रति देश की सैन्य नीति के निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जनरल चौहान की छवि एक स्पष्टवादी और मृदुभाषी अधिकारी की है और उन्होंने सितंबर 2019 से मई 2021 के बीच सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख के तौर पर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टर में चीन के साथ सीमा पर भारतीय सेना की समग्र तैयारी में वृद्धि में भूमिका निभाई।

भारत के नए सीडीएस के तौर पर जनरल चौहान के सामने सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों के बीच समन्वय और महत्वाकांक्षी ‘थियेटर’ कमान के निर्माण का लक्ष्य है ताकि देश की सेनाओं को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।

सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि जनरल चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती थियेटर कमान के निर्माण के लिए, सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों के प्रमुखों के बीच सहमति बनानी होगी क्योंकि भारतीय वायु सेना को इसे लेकर कुछ आशंकाएं हैं।

पूर्व डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “उनके सामने संयुक्त रूप से युद्ध लड़ने की तैयारी के लिए तीनों सेनाओं और सरकार तथा सरकार के बाहर विभिन्न हितधारकों के बीच सामजंस्य बिठाने की चुनौती होगी। इसके अलावा उन्हें समान विचारधारा वाले देशों को भी साथ लाना होगा।”

सेना के एक अन्य पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने जनरल चौहान को एक “उत्कृष्ट” सैन्य सोच वाला व्यक्ति करार दिया जिन्हें इसकी गहरी समझ है कि भविष्य में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्र की सशस्त्र सेनाओं में किस प्रकार का परिवर्तन करना है।

उन्होंने कहा, “वह सौम्य और सहयोगी व्यक्ति हैं और अपने वरिष्ठ तथा मातहत काम करने वालों के बीच उनकी अच्छी छवि है।”

पूर्व अधिकारी ने कहा कि जनरल चौहान ने साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए बड़े स्तर पर सैन्य नीति निर्धारण करने में अहम योगदान दिया है।

केंद्र सरकार ने बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल चौहान को नया सीडीएस नियुक्त किया था। जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन के बाद यह पद खाली हो गया था और नौ महीने से ज्यादा समय से रिक्त था। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय जवानों के हमले के दौरान सेना के सैन्य परिचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) थे।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के जवाब में भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट पर हवाई हमले किये थे और जैश ए मोहम्मद के प्रशिक्षण केंद्रों को बर्बाद कर दिया था। इस अभियान में जनरल चौहान ने महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई थी।

वह गत वर्ष मई में लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन शुक्रवार को भारत के दूसरे प्रमुख रक्षा अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त होने के बाद उन्होंने ‘फोर-स्टार’ जनरल रैंक धारण की।

जनरल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था और उन्हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन मिला था।

अपने 40 वर्षों के कार्यकाल में जनरल चौहान ने कई कमान, स्टाफ और अहम पदों पर कार्य किया और उन्हें जम्मू कश्मीर तथा पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद रोधी और उग्रवाद रोधी अभियानों का अत्यधिक अनुभव है। वह पिछले साल सेवानिवृत्त होने से पहले सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख के पद पर थे।

जनरल चौहान ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से शिक्षण और प्रशिक्षण प्राप्त किया है। मेजर जनरल की रैंक पर रहते हुए उन्होंने उत्तरी कमान में बारामूला सेक्टर में इन्फेंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी।

इसके बाद उन्होंने पूर्वोत्तर में कोर कमांडर का दायित्व निभाया और फिर पूर्वी कमान के प्रमुख बने। वह अंगोला में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक के तौर पर भी काम कर चुके हैं।

जनरल चौहान को सैन्य सेवा के दौरान अप्रतिम योगदान के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है।

भाषा यश वैभव

वैभव

 

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