बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए मजबूत मध्यस्थता संस्थानों की जरूरत: न्यामूर्ति बिंदल

बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए मजबूत मध्यस्थता संस्थानों की जरूरत: न्यामूर्ति बिंदल

बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए मजबूत मध्यस्थता संस्थानों की जरूरत: न्यामूर्ति बिंदल
Modified Date: December 6, 2025 / 07:49 pm IST
Published Date: December 6, 2025 7:49 pm IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने मजबूत मध्यस्थता संस्थाओं की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में रुकावट नहीं आने देने के लिए विशेषज्ञों की भागीदारी और समस्या-समाधान दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

शुक्रवार को यहां ‘सोसायटी ऑफ कंस्ट्रक्शन लॉ’ द्वारा निर्माण कार्य कानून और मध्यस्थता पर आयोजित पांचवें द्विवार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा कि यह एक अत्यधिक विशिष्ट क्षेत्र है।

उन्होंने कहा कि बिजली, सड़क, मेट्रो, बंदरगाह और बांधों सहित भारत के बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास ने स्वाभाविक रूप से विवादों को बढ़ा दिया है।

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न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा, ‘‘गतिविधियां बढ़ रही हैं, इसलिए विवाद भी बढ़ेंगे…हमें परियोजना को रोकने के बजाय, उन्हें हर चरण में सुलझाना चाहिए।’’

उन्होंने निर्माण कार्य से जुड़े विवादों में संस्थागत मध्यस्थता का समर्थन किया, ताकि तकनीकी विशेषज्ञों की उपलब्धता, रिकॉर्ड के उचित रखरखाव और मामला प्रबंधन सुनिश्चित करके बढ़ी हुई लागत और विलंबित कार्यवाही के मौजूदा मुद्दों से निपटा जा सके।

कार्यक्रम में, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने निर्माण क्षेत्र के वर्तमान विखंडित स्वरूप को रेखांकित करते हुए, इसके लिए कानून बनाने का आह्वान किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तेजस करिया ने देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र के तेजी से विकास और जटिलता को रेखांकित किया और विशेष विवाद समाधान ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया।

भाषा सुभाष धीरज

धीरज


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