नई दिल्लीः Food Loss and Waste 2022 गरीब और निचले तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए भारत ही नहीं दुनियाभर की सरकार काम कर रही है, बावजूद इसके रोजना 83 करोड़ लोग भूखे सोते हैं। है न चौकाने वाले आंकड़ें? हैरानी की बात ये है कि भूखे सोने वाली अधिकतर आबादी विकसीत और विकासशली देशों की है। भारत में भूखे सोने वालों की संख्या 19 करो़ड़ है। इसका सबसे बड़ा कारण है खाने की बर्बादी, जिसमें भारत दूसरे पायदान पर है। वहीं, खाना बर्बाद करने वाले देशों में चीन पहले नंबर पर है।
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Food Loss and Waste 2022 यूएनईपी यानि यूनाइटेड नेशन एनवायरोमेंट प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 6.87 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है। वहीं पूरी दुनिया में हर साल 250 करोड़ टन खाना बर्बाद किया जाता है। अगर एक साल में बर्बाद होने वाले खाने का मूल्यांकन किया जाए तो ये आंकड़ा 92000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। यानि भारत में खाद्य उत्पाद का 40 फीसदी हिस्सा बर्बाद होता है। बता दें कि खाने की कमी और बर्बादी के में बारे में जागरूक करने के लिए 29 सितंबर को हर साल अंतरराष्ट्रीय दिवस 2022 मनाया जाता है।
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यूएनईपी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल से पहले 93 करोड़ टन से ज्यादा खाना यानी 17 प्रतिशत खाना खराब हो गया था। इनमें 63 प्रतिशत खाना आम घरों से, 23 प्रतिशत खाना रेस्टोरेंट में और 13 प्रतिशत खाना रिटेल चेन में खराब हो गया था।
यूएनईपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस लिस्ट में पहला स्थान चीन का है, जहां हर साल 9.6 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है। वहीं, भारत में एक साल में 6.87 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है। इसके बाद अमेरिका में 1.93 करोड़ टन खाना एक साल में बर्बाद होता है। अगर प्रतिव्यक्ति खाना बर्बादी की बात की जाए तो इस मामले में ऑस्ट्रेलिया पहले नंबर है, यहां एक व्यक्ति साल में 102 किलोग्राम खाना बर्बाद करता है। इसी तरह ह फ्रांस में 85 किलोग्राम, स्पेन में 77 किलोग्राम और यूके में 77 किलोग्राम खाना बर्बाद करता है।