इसरो के एसएसएलवी की नजर छोटे उपग्रह कारोबार में पैठ बनाने पर
इसरो के एसएसएलवी की नजर छोटे उपग्रह कारोबार में पैठ बनाने पर
नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का नवीनतम उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘एसएसएलवी’ अपनी श्रेणी का पहला रॉकेट है, जो व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह दो अन्य रॉकेट स्काईरूट के ‘विक्रम’ और अग्निकुल कॉसमॉस के ‘अग्निबाण’ के साथ छोटे उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के मामले में अंतरिक्ष उद्योग में प्रतिस्पर्धा करेगा।
अंतरिक्ष उद्योग के अनुमान के अनुसार, भारत में उपग्रह प्रक्षेपण बाजार के 2033 तक 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2022 में 72 करोड़ अमेरिकी डॉलर था। इसके अलावा इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने से लेकर पृथ्वी अवलोकन तक कई अनुप्रयोगों के लिए छोटे उपग्रह के पहली पसंद होने का अनुमान है।
भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. भट्ट (सेवानिवृत्त) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘बड़े प्रक्षेपण यान मौजूद हैं, लेकिन बड़ी संख्या में उपग्रहों के प्रक्षेपण के कारण कंपनियां इंतजार नहीं करना चाहती हैं, वे जितनी जल्दी हो सके उपग्रह प्रक्षेपित करना चाहती हैं और छोटे यान उनके लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए हैं।’
‘पिक्सल’ इस साल के अंत में अपने ‘हाइपर-स्पेक्ट्रल’ उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए इसरो के प्रक्षेपण वाहनों का उपयोग करने पर भी विचार कर रहा है।
पिक्सल के सीईओ अवैस अहमद ने जुलाई में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘फिलहाल हम जो छह उपग्रह बना रहे हैं, उनमें से तीन को स्पेसएक्स और तीन को इसरो प्रक्षेपित करेगा।”
भट्ट ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस) भी विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के साथ उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए छोटे उपग्रहों का एक समूह बनाने के लिए चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘ये उपग्रह भारतीय कंपनियां बनाएंगी और इससे घरेलू प्रक्षेपण वाहनों के लिए बाजार खड़ा करने में मदद मिलेगी।’
हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस ने स्टेज-2 इंजन का परीक्षण किया है, जो विक्रम-1 रॉकेट को ऊर्जा देगा, जिसे इस साल के अंत में प्रक्षेपित करने की योजना है। कलाम-250 नामक स्टेज-2 इंजन प्रक्षेपण वाहन को अंतरिक्ष के वायुमंडल से बाहरी अंतरिक्ष के गहरे ‘वैक्यूम’ में ले जाएगा।
आईआईटी-मद्रास द्वारा विकसित अग्निकुल कॉसमॉस भी अगले वर्ष अपना कक्षीय रॉकेट ‘अग्निबाण’ प्रक्षेपित कर सकता है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 16 अगस्त को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के प्रक्षेपण के बाद घोषणा की कि प्रक्षेपण यान बनाने का काम पूरा हो गया है और इसरो बड़े पैमाने पर रॉकेट बनाने के लिए उद्योग को हस्तांतरित करने के लिए तैयार है।
सोमनाथ ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इससे उद्योगों को छोटे रॉकेट बनाने में अपनी क्षमता व योग्यता बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
भाषा
जोहेब सुरेश
सुरेश

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