नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित और यहां तक की डेल्टा वेरिएंट के शिकार लोगों पर भी टीकों का असर काफी है तथा महामारी के मौजूदा चरण में आम लोगों को बूस्टर खुराकें देना उचित नहीं है। ‘द लांसेट’ पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समूह द्वारा की गई समीक्षा में यह बात कही गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमेरिकी खाद्य एवं औद्योगिक प्रशासन (एफडीए) के विशेषज्ञों समेत विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा यह समीक्षा की गई है। इसमें वर्तमान में उपलब्ध कई परीक्षणों और शोधों की समीक्षा की गई है।
अध्ययन की रिपोर्ट में बताया गया है कि डेल्टा वेरिएंट और अल्फा वेरिएंट से गंभीर रूप से पीड़ित लोगों पर टीके का प्रभाव 95 प्रतिशत रहा है और इन स्वरूपों के किसी भी संक्रमण से बचाने में टीकाकरण 80 प्रतिशत से भी अधिक प्रभावी साबित हुआ।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक तथा अध्ययन की सह-लेखक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, ”वर्तमान में उपलब्ध टीके सुरक्षित, प्रभावी और जीवन रक्षक हैं।”
स्वामीनाथन ने कहा, ” टीका लगवाने वाले लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोविड-19 मामलों की संख्या को और कम करने का विचार आकर्षक है, हालांकि ऐसा करने का कोई भी निर्णय साक्ष्य-आधारित होना चाहिए और व्यक्तियों व समाज के लिए लाभों तथा जोखिमों पर विचार करना चाहिए।”
समीक्षा के अनुसार, यदि बूस्टर खुराक देनी भी पड़े तो इसके लिये विशिष्ट परिस्थितियों की पहचान करने की आवश्यकता होगी, जिनमें लाभ अधिक और जोखिम कम हो।
भाषा जोहेब उमा
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