जरांगे ने बारिश प्रभावित क्षेत्रों को दिवाली से पहले आर्द्र सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग की

जरांगे ने बारिश प्रभावित क्षेत्रों को दिवाली से पहले आर्द्र सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग की

जरांगे ने  बारिश प्रभावित क्षेत्रों को दिवाली से पहले आर्द्र सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग की
Modified Date: October 2, 2025 / 07:20 pm IST
Published Date: October 2, 2025 7:20 pm IST

छत्रपति संभाजीनगर, दो अक्टूबर (भाषा) मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बृहस्पतिवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को दिवाली से पहले भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित इलाकों को आर्द्र सूखा (वेट ड्राउट) ग्रस्त घोषित करना चाहिए और ऐसा करने में विफल रहने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

उन्होंने कहा कि खेती को नौकरी का दर्जा दिया जाना चाहिए और सरकार को किसानों को उनके काम के लिए हर महीने भुगतान करना चाहिए।

जरांगे ने दशहरा के अवसर पर बीड जिले के नारायणगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता एवं महाराष्ट्र सरकार की मंत्री पंकजा मुंडे पर उनके कथित ”गुलामी के राजपत्र” वाले बयान को लेकर निशाना साधा।

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महाराष्ट्र के कई हिस्सों विशेषकर मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े में मूसलाधार बारिश हुई है, जिसके परिणामस्वरूप बांधों से पानी छोड़ा गया और बाढ़ आ गई। मराठवाड़ा क्षेत्र में छत्रपति संभाजीनगर, धाराशिव, लातूर, नांदेड़, जालना, हिंगोली, परभणी और बीड जिले शामिल हैं।

इस कारण हजारों एकड़ भूमि पर फसलें नष्ट हो गईं।

जरांगे ने कहा, ‘‘दिवाली से पहले सरकार राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों को आर्द्र सूखाग्रस्त घोषित करें। जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें प्रति हेक्टेयर 70,000 रुपये नकद दें। जिन लोगों की जमीन और फसल दोनों नष्ट हो गए हैं, उन्हें प्रति हेक्टेयर 1.30 लाख रुपये दिए जाने चाहिए। जिन लोगों की खड़ी फसल और घर दोनों नष्ट हो गए हैं, उन्हें सर्वेक्षण के आधार पर 100 प्रतिशत मुआवजा मिलना चाहिए। सरकार को गन्ना किसानों से 15 रुपये की कटौती नहीं चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्ण ऋण माफी देनी चाहिए तथा आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को नौकरी देनी चाहिए।

जरांगे ने चेतावनी दी कि अगर दिवाली से पहले हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो हम आंदोलन शुरू करेंगे।

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘खेती को (सरकारी) नौकरी का दर्जा दिया जाना चाहिए और सरकार को किसानों को हर महीने भुगतान का कार्य शुरू करना चाहिए। ’’

आर्द्र सूखा उस स्थिति को कहते हैं जब किसी क्षेत्र में सामान्य या अधिक वर्षा होने के बावजूद मिट्टी में नमी की कमी और फसल उत्पादन में गिरावट देखी जाए।

भाषा रवि कांत रवि कांत पवनेश

पवनेश


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