झारखंड: रांची के आईसीएआर-रिसर्च कॉम्प्लेक्स ने विकसित कीं फसल दो किस्म, किसानों को हो रहा फायदा
झारखंड: रांची के आईसीएआर-रिसर्च कॉम्प्लेक्स ने विकसित कीं फसल दो किस्म, किसानों को हो रहा फायदा
(राघवेंद्र प्रताप सिंह)
रांची, सात दिसंबर (भाषा) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर)-रिसर्च कॉम्प्लेक्स द्वारा विकसित सोयाबीन और सेम की फली की दो किस्में किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं और स्वाद व उच्च पोषण तत्वों के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर इन्हें पहचान मिल रही है।
बागवानी और सब्जी विज्ञान मामलों के प्रमुख वैज्ञानिक आर एस पान ने कहा कि ये उन्नत किस्में लगभग तीन दशकों तक किए गए निरंतर शोध का परिणाम हैं, जिन्हें रांची के प्लांडू स्थित केंद्र में विकसित किया गया है।
पान ने बताया, ‘सोयाबीन की किस्म ‘स्वर्ण वसुंधरा’ और सेम की फली की किस्म ‘स्वर्ण तृप्ति’ ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त की है। किसानों के बीच इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।’
सोयाबीन की इस किस्म को झारखंड और अन्य राज्यों में किसानों के लाभ और आजीविका सुरक्षा के लिए पेश किया गया था।
पान ने कहा, “केंद्र की एक उपसमिति की सिफारिश के आधार पर, अब 14 राज्यों में किसानों को इस किस्म की आपूर्ति की जा रही है।”
उन्होंने बताया कि झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों ने सोयाबीन की इस किस्म के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
पान ने कहा कि ‘स्वर्ण वसुंधरा’ अब झारखंड की पहचान बन चुकी है।
उन्होंने कहा कि इस सोयाबीन किस्म को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य सभी आयु वर्गों में कुपोषण को दूर करना था।
पान ने कहा, ‘सोयाबीन का मूल बीज ‘जर्मप्लास्म’ वर्ल्ड वेजिटेबल सेंटर, ताइवान से आयात किया गया था, और बाद में रांची में प्रयोगात्मक खेती के माध्यम से इसमें संशोधन किया गया। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, आवश्यक फैटी एसिड और खनिजों का स्रोत है।”
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, इसमें आइसोफ्लावोन भी होते हैं, जो एंटी-कैंसर यौगिक होते हैं।
पान ने कहा कि यह ऑस्टियोपोरोसिस और हृदय संबंधित बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है।
उन्होंने कहा कि पुणे और पश्चिम बंगाल में प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई हैं, जहां सोयाबीन से सोया दूध, दही, पनीर, रसगुल्ला और अन्य मूल्य वर्धित उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
पूर्व क्रिकेटर एम.एस. धोनी के कृषि सलाहकार के रूप में काम कर रहे डॉ. रौशन कुमार ने कहा, ‘उन्होंने उच्च उपज देने वाली सोयाबीन की संशोधित किस्म स्वर्ण वसुंधरा को उगाया है।
इस खरीफ मौसम में इस किस्म का एक किलोग्राम बीज आईसीएआर, प्लांडू से परीक्षण के लिए खेत में लाया गया था। यह फसल लगभग तीन से चार महीने में तैयार हो गई और बहुत अच्छा उत्पादन हुआ। अगले साल से हम इसे निश्चित रूप से बड़े पैमाने पर उगाएंगे। इस सोयाबीन का स्वाद पहले की किस्मों से बेहतर है।’
भाषा जोहेब शोभना
शोभना

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