फीमर हड्डी के जटिल ऑपरेशन के बाद अपने पैरों पर फिर से चल सकेगी कशिश |

फीमर हड्डी के जटिल ऑपरेशन के बाद अपने पैरों पर फिर से चल सकेगी कशिश

फीमर हड्डी के जटिल ऑपरेशन के बाद अपने पैरों पर फिर से चल सकेगी कशिश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : October 18, 2021/11:24 pm IST

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने 12 वर्षीय एक लड़की की मां के शरीर से फिबुला उपरोपण (ग्राफ्ट) कर उसकी बेटी की फीमर हड्डी का ‘शाफ्ट’ तैयार किया है। चिकित्सकों की उम्मीद है कि इसके बाद वह लड़की फिर से अपने पैरों पर चल सकेगी।

बेगूसराय की रहने वाली 12 वर्षीय कशिश की एक दुर्घटना के बाद उसकी टूटी हुई फीमर (मानव शरीर की सबसे लंबी और सबसे मजबूत हड्डी) की मरम्मत के लिये जांघ की सर्जरी की गई। तब उसने या उसके परिवार ने कल्पना भी नहीं की थी कि वह इस दौरान एक रक्त-जनित संक्रमण का शिकार होकर चलने-फिरने से लाचार हो जाएगी।

द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर के चिकित्सकों ने हालांकि हड्डियों के दुर्लभ लेकिन गंभीर संक्रमण ऑस्टियोमाइलाइटिस के उपचार के लिये दो चरणों वाला ऑपरेशन किया और इस दौरान उसकी मां की फिबुला हड्डी का इस्तेमाल कर उसके फीमर का शाफ्ट फिर से तैयार किया।

डॉक्टरों ने कहा कि दुर्घटना के बाद की गई सर्जरी के पांच सप्ताह बाद, लड़की को दाहिने पैर की फीमर की सर्जनी के दौरान हुई पुरानी ऑस्टियोमाइलाइटिस का पता चला था।

इसके कारण उसने बुखार के साथ दाहिनी जांघ में दर्द और सूजन की शिकायत की। इस पर उसके माता-पिता ने दिल्ली में अपने रिश्तेदार से संपर्क किया, जिन्होंने आकाश हेल्थकेयर में डॉक्टरों की राय मांगी और लड़की को 16 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अस्पताल ने कहा कि जांच में पाया गया कि उसकी जांघ में विकृति, दर्द और क्रेपिटेशन (उठने-बैठने व चलने पर चटकने की आवाज आना) पाया गया।

सर्जरी के पहले चरण में, फीमर हड्डी के निष्क्रिय हिस्से को हटा दिया गया और उस जगह पर एक ‘एंटीबायोटिक स्पेसर’ रखा गया। छह सप्ताह के अंतराल के बाद, ‘सपेसर’ को हटा दिया गया और सर्जरी के दूसरे चरण में उसकी मां से लिए गए फिबुला का उपयोग करके फीमर शाफ्ट का पुनर्निर्माण किया गया।

इस जटिल ऑपरेशन का नेतृत्व आकाश हेल्थकेयर में ऑर्थोपेडिक्स, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और स्पाइन सर्जरी के निदेशक डॉ. आशीष चौधरी ने किया।

उन्होंने कहा, “उसे ठीक समय पर लाया गया था क्योंकि ऑस्टियोमाइलाइटिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर संक्रमण है जो हर 10,000 लोगों में से लगभग दो को प्रभावित करता है। अगर इलाज नहीं किया जाए तो यह जटिल हो सकता है और प्रभावित हड्डी में सेप्सिस, नेक्रोसिस (रक्त की आपूर्ति में कमी) का कारण बन सकता है। यह प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बाधित करके ऊतक की मृत्यु का कारण बन सकता है तथा यह स्थिति जीवन के लिए खतरा हो सकती है।”

डॉक्टर ने कहा कि अगले एक साल तक लड़की को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऑपरेशन वाली जगह पर दबाव न पड़े और कुछ समय के लिये वॉकर और फिर चलने के लिए छड़ी का इस्तेमाल करना होगा। डॉक्टरों के आश्वस्त होने के बाद उसे अपने आप चलने की अनुमति दी जाएगी।

भाषा

प्रशांत अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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