केजरीवाल अंतरिम जमानत पर 21 दिन के लिए जेल से बाहर रहेंगे लेकिन दफ्तर नहीं जा सकते

केजरीवाल अंतरिम जमानत पर 21 दिन के लिए जेल से बाहर रहेंगे लेकिन दफ्तर नहीं जा सकते

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  • Publish Date - May 10, 2024 / 06:59 PM IST,
    Updated On - May 10, 2024 / 06:59 PM IST

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उन्हें लोकसभा चुनाव के बीच में प्रचार के लिए धनशोधन के एक मामले में एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन उनके कार्यालय या दिल्ली सचिवालय जाने और तब तक सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर रोक लगा दी जब तक उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए ऐसा पूरी तरह जरूरी नहीं हो।

कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में 50 दिन की हिरासत के बाद लोकसभा चुनाव के बाकी के चरण के लिए प्रचार के लिहाज से केजरीवाल को 21 दिन के लिए रिहा करते हुए न्यायालय ने कहा कि वह दो जून को आत्मसमर्पण करेंगे।

एक जून को लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और अंतिम चरण के तहत मतदान होगा। मतगणना चार जून को होगी। अगले और चौथे चरण का मतदान 13 मई को होगा।

आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देने के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि उनकी रिहाई से देश में ‘बड़े बदलावों’ का मार्ग प्रशस्त होगा। पार्टी ने इसे सत्य की जीत बताया।

‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों में भी इस फैसले पर खुशी देखी गई।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत है। तानाशाही खत्म होगी। सत्यमेव जयते।”

सिंह स्वयं भी धनशोधन मामले में आरोपी हैं और जमानत पर हैं।

केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हनुमान जी की जय। यह लोकतंत्र की जीत है। यह लाखों लोगों की प्रार्थना और आशीर्वाद का परिणाम है। सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।’

केजरीवाल की जेल से रिहाई भले ही अस्थायी हो, लेकिन इससे दिल्ली में ‘आप’ के लोकसभा प्रचार अभियान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जहां 25 मई को मतदान होना है।

पीठ ने केजरीवाल को 50,000 रुपये के जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि का मुचलका जमा कराने का भी निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर केजरीवाल को छोड़ने जैसा पहले कोई मामला नहीं देखा गया।

अदालत ने उनकी इस दलील से भी सहमति नहीं जताई कि चुनाव प्रचार के लिए आप के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना ‘इस देश के आम नागरिकों की तुलना में राजनेताओं को लाभकारी स्थिति में प्रमुखता से रखने’ जैसा होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम जमानत/रिहाई देने के सवाल की जांच करते समय, अदालतें हमेशा संबंधित व्यक्ति से जुड़ी विशिष्टताओं और आसपास की परिस्थितियों को ध्यान में रखती हैं। वास्तव में, इसे नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण और गलत होगा।’’ उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटना है।

पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन केजरीवाल को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह ‘‘समाज के लिए खतरा नहीं हैं’’।

इसमें कहा गया है कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनकी गिरफ्तारी की वैधता को शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने अभी तक इस पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है।

पीठ ने कहा, ‘‘तथ्यात्मक स्थिति की तुलना फसलों की कटाई या कारोबारी कामकाज देखले की दलील से नहीं की जा सकती। इस पृष्ठभूमि में, जब मामला अदालत में विचाराधीन है और गिरफ्तारी की वैधता से संबंधित प्रश्न विचाराधीन हैं, तो 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव होने की पृष्ठभूमि में अधिक समग्र और उदारवादी दृष्टिकोण उचित है।’’

पीठ ने कहा कि केजरीवाल का मामला असामान्य नहीं है। उसने कहा कि अंतरिम जमानत देने की शक्ति का प्रयोग आमतौर पर कई मामलों में किया जाता है और प्रत्येक मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत दी जाती है।

पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त कारणों से, हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता – अरविंद केजरीवाल को मामले के संबंध में अंतरिम जमानत पर 1 जून, 2024 तक रिहा किया जाएगा, यानी वह 2 जून, 2024 को निम्नलिखित नियमों और शर्तों पर आत्मसमर्पण करेंगे।’’

पीठ ने कहा, ‘‘वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय का दौरा नहीं करेंगे।”

अदालत ने कहा कि केजरीवाल मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और किसी गवाह से बात नहीं करेंगे या मामले से संबंधित किसी फाइल को नहीं देखेंगे।

उसने लोकसभा चुनाव के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘लगभग 97 करोड़ मतदाताओं में से 65-70 करोड़ मतदाता अगले पांच वर्षों के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे। आम चुनाव लोकतंत्र को जीवंतता प्रदान करते हैं।’’

पीठ ने यह भी कहा कि ईडी ने यह बात सही कही है कि केजरीवाल उसके नौ नोटिस/ समन के बावजूद पेश नहीं हुए जिसमें से पहला अक्टूबर 2023 में जारी किया गया था।

उसने कहा, ‘‘यह नकारात्मक पहलू है, लेकिन कई अन्य तथ्य हैं जिन पर हमें विचार करना होगा।’’

पीठ ने कहा कि केजरीवाल एक राष्ट्रीय दल के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।

पीठ ने कहा कि ईडी की ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी जबकि मुख्यमंत्री को इस साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि इसका मौजूदा लोकसभा चुनावों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

ममता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल गई है। यह मौजूदा चुनावों के संदर्भ में बहुत मददगार होगा।”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने का स्वागत किया और कहा कि देश लोकतंत्र का पालन करने में दृढ़ है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि देश में ‘तानाशाही शासन’ के खिलाफ केजरीवाल को न्याय और राहत मिलना बदलाव की हवा का एक बड़ा संकेत है।

उन्होंने कहा, ”वह सच बोलते रहे हैं और यही बात भाजपा को नापसंद है। उन्हें और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) को भारत के लिए और अधिक ताकत मिलेगी। हम अपने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।”

शीर्ष अदालत मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले महीने के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पीठ ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर दलीलें अगले सप्ताह जारी रहेंगी और वह 20 मई को ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने से पहले याचिका पर फैसला सुनाने का प्रयास करेगी।

भाषा

वैभव माधव

माधव