कोच्चि, 10 सितंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य की वाम मोर्चे की सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट पर उसकी निष्क्रियता ‘‘चिंताजनक’’ है।
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति सी एस सुधा की विशेष खंडपीठ ने कहा कि सरकार को रिपोर्ट वर्षों पहले मिल गई थी और उसे तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। पीठ ने निर्देश दिया कि आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पूरी रिपोर्ट विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी जाए।
उसने यह भी पूछा कि राज्य इतने वर्षों तक चुप क्यों रहा।
पीठ ने कहा कि केरल में महिलाओं की संख्या अधिक है और पूछा कि समाज में उनके सामने आने वाली समस्याओं के बारे में राज्य क्या कर रहा है।
उसने कहा कि सरकार ने रिपोर्ट मिलने के चार से अधिक वर्ष बाद ही इस पर कार्रवाई की।
अदालत ने कहा कि एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर सकती है और अदालत अगली तारीख पर यह देखेगी कि विशेष दल ने क्या कदम उठाए हैं।
साथ ही उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एसआईटी जल्दबाजी में कार्रवाई न करे और पीड़िता तथा आरोपियों के विवरण का खुलासा न करे।
उसने यह भी कहा कि मीडिया को अपने आप को संयमित रखना चाहिए और उसने पुलिस को मामलों की अनावश्यक जानकारियां उजागर न करने का निर्देश दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक कानून होना चाहिए और सरकार को तीन अक्टूबर को सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें उसके द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी हो।
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक एसआईटी गठित करने समेत कई कदम उठाए गए हैं और महिला कलाकारों की शिकायतों पर 23 मामले दर्ज किए गए हैं।
वर्ष 2017 में एक अभिनेत्री पर हमले के बाद केरल सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न व शोषण के मामलों का खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने पर कई अभिनेताओं और फिल्म निर्देशकों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इनकी जांच करने के लिए 25 अगस्त को सात सदस्यीय विशेष जांच दल गठित करने की घोषणा की थी।
भाषा गोला नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)