केरल उच्च न्यायालय ने सिल्वरलाइन परियोजना के संबंध में सर्वेक्षण टालने का फैसला रद्द किया

केरल उच्च न्यायालय ने सिल्वरलाइन परियोजना के संबंध में सर्वेक्षण टालने का फैसला रद्द किया

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  • Publish Date - February 14, 2022 / 11:59 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:21 PM IST

कोच्चि (केरल), 14 फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार की अपीलों को मंजूर कर लिया और सिल्वरलाइन परियोजना के संबंध में एक सर्वेक्षण टालने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने एकल पीठ के 20 फरवरी के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सात फरवरी तक सर्वेक्षण स्थगित करने को कहा गया था। एकल पीठ ने सात फरवरी के बाद 18 फरवरी तक सर्वेक्षण टालने का आदेश दिया था।

एकल पीठ का आदेश उन याचिकाओं पर आया था जिसमें से कुछ में सर्वेक्षण का विरोध किया गया और अन्य याचिकाओं में एसआईए अध्ययन के वास्ते जमीन चिह्नित करने के लिए कंक्रीट के खंभे लगाने का विरोध किया गया।

अदालत के 20 जनवरी के इस आदेश के खिलाफ राज्य की याचिकाओं के जवाब में केंद्र ने एक बयान दाखिल किया था जिसमें उसने कहा कि इस स्तर पर परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया रोकने की ‘‘सलाह’’ दी जाती है क्योंकि इसकी वित्तीय व्यवहार्यता ‘‘सवालों के घेरे’’ में है और रेल मंत्रालय ने ट्रैक के संरेखण की व्यवहार्यता पर सहमति नहीं दी है।

केरल सरकार की महत्वाकांक्षी सिल्वरलाइन परियोजना का विपक्षी दल कांग्रेस की अगुवाई वाला यूडीएफ विरोध कर रहा है। उसने आरोप लगाया कि यह ‘‘अवैज्ञानिक और अव्यावहारिक’’ है तथा इससे राज्य पर काफी वित्तीय बोझ पड़ेगा। इस परियोजना से तिरुवनंतपुरम से कासरगोड के बीच यात्रा का समय करीब चार घंटे तक कम होने की उम्मीद है।

परियोजना के तहत तिरूवनंतपुरम से कासरगोड तक 530 किमी हिस्से में अवसंरचना के-रेल द्वारा विकसित की जाएगी। के-रेल केरल सरकार और रेल मंत्रालय का संयुक्त उपक्रम है जो दक्षिणी राज्य में रेल अवसंरचना का विकास करेगा। राज्य की राजधानी से शुरू हो कर सिल्वरलाइन ट्रेनें कोल्लम, चेंगन्नूर, एर्नाकुलम, त्रिशूर, तिरूर, कोझीकोड और कन्नूर में रुकते हुए कासरगोड जाएंगी।

भाषा गोला मनीषा

मनीषा