कोलकाता उत्तर: तृणमूल उम्मीदवार एवं पूर्व तृणमूल नेता की लड़ाई ने ‘पुराने बनाम नए’ की बहस छेड़ी

कोलकाता उत्तर: तृणमूल उम्मीदवार एवं पूर्व तृणमूल नेता की लड़ाई ने ‘पुराने बनाम नए’ की बहस छेड़ी

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  • Publish Date - May 10, 2024 / 11:41 AM IST,
    Updated On - May 10, 2024 / 11:41 AM IST

कोलकाता, 10 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल में प्रतिष्ठित कोलकाता उत्तर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सुदीप बंदोपाध्याय और तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए तापस रॉय के बीच होने वाले मुकाबले ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के बीच ‘‘पुराने बनाम नए’ की बहस फिर से छेड़ दी है जो पार्टी के पहले और दूसरे पायदान के नेताओं के बीच सत्ता के संघर्ष को दर्शाती है।

तीन बार सांसद रहे सुदीप बंदोपाध्याय के सामने मुख्य चुनौती चार बार विधायक रहे एवं तृणमूल के पूर्व नेता तापस रॉय की होगी। रॉय हाल में तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे जिसके बाद तृणमूल में ‘पुराने बनाम नए’ की बहस को हवा मिली।

बंदोपाध्याय तृणमूल के पुराने नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विश्वासपात्र हैं, तो रॉय निश्चित ही तृणमूल की नयी पीढ़ी की भावनाओं को दर्शाते हैं।

तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस निर्वाचन क्षेत्र में वर्चस्व के लिए लड़ रही हैं, वहीं वाम-कांग्रेस गठबंधन ने भी पूर्व सांसद प्रदीप भट्टाचार्य को यहां से मैदान में उतारकर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।

तृणमूल कांग्रेस की 1998 में स्थापना के बाद से कोलकाता उत्तर सीट पारंपरिक रूप से पार्टी का गढ़ रही है। यह सीट न केवल पार्टी के लिए, बल्कि राज्य के सत्ता गलियारों से इसी निकटता के कारण उम्मीदवारों के लिए भी अत्यधिक राजनीतिक महत्व रखती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि शायद इसीलिए पार्टी के भीतर आई दरारों के कारण इस सीट पर पैदा हो रही चुनौती विपक्ष की अन्य चुनौतियों की तुलना में बनर्जी को अधिक चिंतित कर सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक बिस्वनाथ चक्रवर्ती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कोलकाता उत्तर तृणमूल कांग्रेस का गढ़ हो सकता है लेकिन इस बार यह पार्टी के भीतर कलह का उदाहरण बनकर उभरा है। अगर आपको इस सीट पर कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिले तो आश्चर्यचकित न हों।’’

कोलकाता उत्तर सीट की राजनीतिक स्थिति पर हाल में हटाए गए तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने यह कहकर संभवत: सबसे सटीक टिप्पणी की कि कोलकाता उत्तर में तृणमूल के दो उम्मीदवार होंगे जिनमें से ‘‘एक तृणमूल के चुनाव चिह्न और दूसरा भाजपा के चुनाव चिह्न के तहत लड़ रहा है।’’

घोष ने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले निर्वाचन क्षेत्र में एक गैर-राजनीतिक सार्वजनिक कार्यक्रम में रॉय की प्रशंसा करने के बाद उन्हें आक्रोश का सामना करना पड़ा।

रॉय ने पार्टी नेतृत्व से नाखुशी व्यक्त करते हुए इस साल मार्च में कांग्रेस छोड़ दी थी। रॉय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके आवास पर जनवरी में छापा मारे जाने के समय उनके साथ खड़े नहीं होने के लिए पार्टी नेतृत्व की आलोचना की थी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के पूर्व उप मुख्य सचेतक ने आरोप लगाया कि लोग ‘‘तृणमूल के भ्रष्टाचार और कुशासन’’ से तंग आ चुके हैं।

दूसरी ओर, बंदोपाध्याय अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखे और उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी की विकास नीतियों में लोगों का विश्वास पूरी तरह बरकरार है।

कोलकाता उत्तर में तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘सुदीप दा के उत्तर कोलकाता के अधिकतर स्थानीय नेताओं, विधायकों और पार्षदों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं। यह एक बड़ा सवाल है कि क्या ये असंतुष्ट नेता उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए मेहनत करेंगे। दूसरी ओर, तापस रॉय क्षेत्र में पार्टी की ताकत और कमजोरियों से अच्छी तरह परिचित हैं।’’

बंदोपाध्याय ने 2009, 2014 और 2019 में सीट से जीत हासिल की थी।

कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप भट्टाचार्य ने इस सीट से अपनी जीत की उम्मीद जताई।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग वाम-कांग्रेस गठबंधन को वोट देंगे क्योंकि मतदाता अच्छी तरह से समझ गए हैं कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा