चेन्नई, 23 अप्रैल (भाषा) भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि कोई भी भाषा सीखना, भले ही वह किसी की मातृभाषा क्यों न हो, व्यक्ति के विकास में ही योगदान देगी। उन्होंने तेलुगु भाषी लोगों से अपनी जड़ों को नहीं भूलने का आह्वान किया।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि तमिलनाडु में रहने वाले लोग भले ही क्षेत्रीय भाषा सीख रहे होंगे, लेकिन उन्हें अपनी मातृभाषा, खासकर अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए।
चेन्नई में विश्व तेलुगु संघ (डब्ल्यूटीएफ) की 29वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आपको तेलुगु में पढ़ना-लिखना और बोलना चाहिए। अगर आप अपनी मातृभाषा में सीखते हैं तो भी आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।”
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि वह तेलुगु माध्यम के एक स्कूल में पढ़ाई करके न्यायपालिका में सर्वोच्च पद पर आसीन हुए।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, “कोई भी भाषा व्यक्ति के विकास में मदद करेगी। आप अंग्रेजी, हिंदी या कोई अन्य भाषा सीख सकते हैं। लेकिन मातृभाषा पर गहरी पकड़ होने पर अन्य भाषाएं सीखने में भी आसानी होगी।”
उन्होंने यहां मद्रास उच्च न्यायालय के नौ मंजिला प्रशासनिक ब्लॉक की आधारशिला रखने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा दिए गए उस संबोधन को याद किया, जिसमें तमिल को उच्च न्यायालय की आधिकारिक भाषा बनाने और चेन्नई में सर्वोच्च अदालत की एक शाखा स्थापित करने का अनुरोध किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “मैं तमिल भाषा के प्रति स्टालिन के लगाव को देखकर बहुत खुश हूं। आपको भी अपनी मातृभाषा के लिए समान भाव विकसित करना चाहिए।”
उन्होंने तेलुगु भाषा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के संचालन के प्रयासों के लिए डब्ल्यूटीएफ की सराहना की।
कार्यक्रम की शुरुआत शनिवार शाम उमा मुरली द्वारा दी गई कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति के साथ हुई। इसमें मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी ने सम्मानित अतिथि के रूप में शिरकत की।
डब्ल्यूटीएफ की अध्यक्ष वीएल इंदिरा दत्त, महासचिव एवी शिवराम प्रसाद और सचिव डीएलएन रेड्डी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
भाषा पारुल पवनेश
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