त्रिपुरा में नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षकों की बर्खास्तगी का मुद्दा उपयुक्त मंच पर उठाने की मांग की
त्रिपुरा में नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षकों की बर्खास्तगी का मुद्दा उपयुक्त मंच पर उठाने की मांग की
अगरतला, छह दिसंबर (भाषा) त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी ने राज्य सरकार से 10,323 शिक्षकों की बर्खास्तगी के मामले को पुनर्विचार के लिए उपयुक्त मंच पर उठाने का आग्रह किया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक हालिया फैसले का हवाला दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में 36,000 शिक्षकों की बर्खास्तगी से जुड़े एकल पीठ के आदेश को पलट दिया था।
भर्ती नियमों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं के बाद, त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने 2014 में 10,323 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। इसके बाद 2017 में उच्चतम न्यायालय की एक खंडपीठ ने इस फैसले को बरकरार रखा।
चौधरी ने शनिवार को कहा, ‘‘कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 36,000 शिक्षकों को बर्खास्त करने के एकल पीठ के फैसले को पलट कर एक मिसाल कायम की है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मानवीय आधार पर फैसला सुनाया है और इस बात पर विचार नहीं किया कि शिक्षक पात्र थे या अपात्र, क्योंकि उन्होंने कई वर्षों तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था।’’
उन्होंने दावा किया कि उच्च न्यायालय का हालिया फैसला राज्य के विभिन्न हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस नीत सरकार द्वारा संचालित पूरी भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया।
विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘चूंकि मुख्यमंत्री माणिक साहा के पास शिक्षा विभाग है, इसलिए वह बर्खास्त शिक्षकों के लिए मानवीय आधार पर प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि उनमें से कई अपनी जान गंवा चुके हैं और कई अन्य गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।’’
भाषा रवि कांत रवि कांत सुभाष
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