मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने संबंधी संकल्प को लोकसभा की मंजूरी
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने संबंधी संकल्प को लोकसभा की मंजूरी
नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) लोकसभा ने बुधवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने के प्रावधान वाले सांविधिक संकल्प को मंजूरी दी।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से संबंधित सांविधिक संकल्प प्रस्तुत किया जिसके तहत राज्य में 13 फरवरी 2025 को
संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त से छह और महीने के लिए बढ़ाया जाना है।
संकल्प में कहा गया, ‘‘यह सभा राष्ट्रपति द्वारा मणिपुर के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन जारी दिनांक 13 फरवरी, 2025 की उद्घोषणा को दिनांक 13 अगस्त, 2025 से आगे छह माह के लिए जारी रखने का अनुमोदन करती है।’’
इस पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए राय ने कहा कि आरक्षण से संबंधित उच्च न्यायालय के एक फैसले को लेकर हिंसा फैली और वह हिंसा जातीय थी।
उन्होंने कहा, ‘‘दो धर्मों के बीच कोई संघर्ष नहीं हुआ और न अभी हो रहा है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद मात्र हिंसा की एक घटना हुई जिसमें एक व्यक्ति की जान गई। पिछले चार महीने में तो एक भी मौत नहीं हुई। शांति व्यवस्था का इससे बड़ा प्रमाण नहीं हो सकता।’’
राय ने इस बात पर जोर दिया कि शांति-व्यवस्था बहाल करने के लिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने संकल्प को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
लोकसभा ने गत दो अप्रैल को राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी सांविधिक संकल्प को मंजूरी दी थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 356 (4) के तहत इस संकल्प की महत्ता छह महीने तक होती है। उन्होंने कहा कि इसे अगले छह महीने के लिए बढ़ाने के लिए संसद के दोनों सदनो में सांविधिक संकल्प को पारित करना जरूरी है।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के एंटो एंटनी ने कहा कि मणिपुर में केवल कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि वहां का शासन पूरी तरह धराशायी हो गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर की जनता की जरूरत के समय चुप्पी साधे रखी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफल रही।
समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के भाषण में जो अहंकार झलकता है। उसी कारण मणिपुर में चुनाव नहीं करा पा रहे। दो सांसद वाले छोटे से राज्य में चुनाव में नहीं हो पा रहे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार वहां की भावनाओं को समझते हुए शांति का वातावरण पैदा करने का प्रयास करे।
तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरी दुनिया में घूमते हैं, लेकिन उन्हें मणिपुर जाने का समय नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन कोई स्थायी समाधान नहीं है और इसे बार-बार बढ़ाना सही नहीं है।
तृणमूल सांसद के वक्तव्य के दौरान पश्चिम बंगाल से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सौमित्र खान को कुछ कहते सुना गया।
पीठासीन सभापति कुमारी शैलजा ने भाजपा सांसद से अपने स्थान पर बैठने और तृणमूल सांसद को अपनी बात पूरी करने देने को कहा।
दोनों पक्षों के बीच कहासुनी और शोर-शराबे के कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही लगभग आधे घंटे के लिए शाम 5.30 बजे तक स्थगित कर दी।
कार्यवाही पुन: शुरू होने पर गृह राज्य मंत्री राय के जवाब के बाद सांविधिक संकल्प को मंजूरी दी गई।
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
राज्य में मई 2023 से हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में कम से कम 260 लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
भाषा हक हक वैभव
वैभव

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