पान मसाला पर उपकर लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी
पान मसाला पर उपकर लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) लोकसभा ने पान मसाला पर उपकर लगाने के प्रावधान वाले विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ पर हुई चर्चा का जवाब दिया, जिसके बाद सदन ने विभिन्न संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से स्वीकृति दे दी।
चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह किसी भी वित्त मंत्री की जिम्मेदारी होती है कि राजस्व बढ़ाया जाए ताकि विभिन्न क्षेत्रों में मांग को पूरा किया जा सके, लेकिन यहां एक सरकार है जिसने कर के दायरे को घटाया है।
उन्होंने कहा कि आयकर की सीमा में भारी छूट दी गई है और 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देने की जरूरत नहीं है।
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी में व्यापक बदलाव किया गया है ताकि चीजें किफायती हों।
उनका कहना था कि आयकर की सीमा बढ़ाने से लोगों के हाथ में एक लाख करोड़ रुपये बचे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘क्या आम लोगों की बुनियादी जरूरत की किसी वस्तु पर कर लगा रही हूं, बिल्कुल नहीं। सिर्फ हानिकारक वस्तुओं पर कर लगाया जा रहा है। मुझे लगता है कि शायह ही कोई सदस्य यह कहेगा कि पान मसाला की कीमत किफायती होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि यह भी सत्य है कि रक्षा और सड़क निर्माण के लिए पैसे की जरूरत होती है।
सीतारमण ने कहा कि बोफोर्स मामले के बाद 30 साल तक तोप की खरीद नहीं की गई और स्थिति यह हुई कि इस अवधि में कई रक्षा मंत्री तो फैसले ही नहीं कर पाए।
उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय रक्षा साजो-समान की कथित तौर पर खरीद नहीं होने का उल्लेख भी किया।
वित्त मंत्री का कहना था, ‘‘मैं इस विधेयक के दायरे में आटे को नहीं ला सकती, इसमें सिर्फ हानिकारक वस्तुएं ही लाई जा सकती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उपकर कोई नई व्यवस्था नहीं है। 2014 से पहले चार उपकर का संग्रह किया जाता था।’’
सीतारमण ने कहा कि क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रह से राज्यों का हिस्सा उन्हें भेजा गया है।
उनका कहना था कि राजस्व संग्रह कैग की छानबीन के दायरे में आता है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा था कि विधेयक का मकसद अतिरिक्त संसाधन जुटाना है तथा इससे मिलने वाले राजस्व का एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने सदन में विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए यह भी कहा था कि इस विधेयक का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा तथा पान मसाला के उपभोग पर 40 प्रतिशत की जीएसटी बरकरार रहेगी।
‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ पान मसाला पर लगाए जाने वाले क्षतिपूर्ति उपकर की जगह लेगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है। इसके तहत उन मशीनों या प्रक्रियाओं पर उपकर लगाया जाएगा, जिनके माध्यम से उक्त वस्तुओं का निर्माण या उत्पादन किया जाता है।
जब एक जुलाई 2017 को जीएसटी की शुरूआत हुई थी तो जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए 30 जून 2022 तक पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था लागू की गई थी।
क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था को बाद में 31 मार्च 2026 तक चार साल के लिए बढ़ा दिया गया था और इसके संग्रह का उपयोग उस ऋण को चुकाने के लिए किया जा रहा है जो केंद्र ने राज्यों को कोविड महामारी की अवधि के दौरान जीएसटी राजस्व हानि की भरपाई के लिए लिया था।
भाषा हक सुरेश
हक वैभव
वैभव

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