(उज्मी अतहर)
नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि दीर्घकालिक कोविड-19 भले ही तीव्र कोविड-19 की तरह घातक और गंभीर न हो और समय के साथ यह ठीक भी हो जाता हो, लेकिन ये किसी व्यक्ति में मौजूद मधुमेह और गुर्दे की बीमारियों को और अधिक गंभीर कर सकता है।
दीर्घकालिक-कोविड को निष्पक्ष रूप से परिभाषित करने के मानदंड अभी तय नहीं हुए हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में बताया था कि इससे उबरने के बाद कम से कम दो महीने तक इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
जीटीबी अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर खान अमीर मरूफ ने कहा कि कुछ मरीज ठीक होने के बाद भी फिर से भर्ती हो रहे हैं या कोविड से संबंधित समस्याओं के लिए ओपीडी में परामर्श मांग रहे हैं।
डॉक्टर मारूफ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘हम जानते हैं कि यह (दीर्घकालिक-कोविड) एक ऐसा विषय है, जिसका हमें लंबे समय तक अपने शोध और क्लीनिकल प्रैक्टिस में ध्यान रखना होगा। जीवन की गुणवत्ता और एक परिवार तथा समुदाय की आर्थिक स्थिति पर इसके प्रभाव को भी बेहतर ढंग से समझा जाना चाहिए।’
दीर्घकालिक कोविड के प्रभावों के बारे में उन्होंने कहा कि यह तीव्र कोविड-19 की तरह घातक तथा गंभीर नहीं है और अकसर समय के साथ इसमें सुधार देखा गया है।
उन्होंने कहा, ”इसमें आमतौर पर हल्के से मध्यम लक्षण महसूस होते हैं, जैसे थकान, सांस लेने तकलीफ, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, जोड़ों में दर्द, बालों का झड़ना आदि। लेकिन इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में गिरावट चिंताजनक है।”
स्वास्थ्य उपयुक्त प्रौद्योगिकी कार्यक्रम में वैश्विक टीबी तकनीकी निदेशक डॉ शिबु विजयन ने कहा कि दीर्घकालिक कोविड, कोविड-19 से बदतर तो नहीं है, लेकिन यह पहले से किसी व्यक्ति में मौजूद मधुमेह और गुर्दे के रोग को और बिगाड़ सकता है। साथ ही तपेदिक (टीबी) जैसी संक्रामक बीमारी का शिकार बना सकता है।
उन्होंने कहा, ”कोविड के बाद हम टीबी के अधिक मामले सामने आते देख रहे हैं। सरकार ने कोविड के बाद तपेदिक को लक्षित करने और इसपर आक्रामकता से काम करने के लिये परामर्श जारी किया है।”
भाषा
जोहेब शोभना
शोभना