ममता ने मनरेगा का नोट फाड़ा, कहा-केंद्र शर्तों के साथ बंगाल का अपमान कर रहा

ममता ने मनरेगा का नोट फाड़ा, कहा-केंद्र शर्तों के साथ बंगाल का अपमान कर रहा

ममता ने मनरेगा का नोट फाड़ा, कहा-केंद्र शर्तों के साथ बंगाल का अपमान कर रहा
Modified Date: December 9, 2025 / 07:00 pm IST
Published Date: December 9, 2025 7:00 pm IST

कूच बिहार, नौ दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को यहां एक जनसभा में मनरेगा के नए नियमों की रूपरेखा वाला एक नोट फाड़ दिया और इसे ‘‘बेकार व मनमाना’’ फरमान करार देते हुए कहा कि राज्य ‘‘दिल्ली का दान’’ लिए बिना अपनी कार्ययोजना खुद चलाएगा।

बनर्जी ने रास मेला मैदान में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की एक रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर बंगाल के खिलाफ धन का इस्तेमाल हथियार के रूप में करने और ‘‘ईर्ष्या व घृणा’’ के कारण ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित कल्याण कार्यक्रमों को विफल करने का आरोप लगाया।

उन्होंने केंद्र से दो दिन पहले मिले एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इसमें ‘‘बेतुकी और प्रतिबंधात्मक’’ शर्तें लगाई गई हैं, जिनमें तिमाही श्रम बजट जमा करना तथा रोजगार से पहले अनिवार्य प्रशिक्षण शामिल है।

 ⁠

बनर्जी ने कहा, “परसों हमें एक पत्र मिला, जिसमें कहा गया कि छह दिसंबर से हमें तिमाही श्रम बजट जमा करना होगा। उन्होंने एक प्रतिबंधात्मक शर्त लगा दी है। लेकिन इसे दिखाने का समय कहां है? यह दिसंबर है और चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं। फिर उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण प्रदान करना होगा।”

उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों से कहा, “आपको प्रशिक्षण कब मिलेगा और नौकरियां कब मिलेंगी? मैं कहती हूं कि यह कागज बेकार है। हम सत्ता में वापस आएंगे। कर्मश्री के तहत, हम 70 दिन का काम दे रहे हैं। हम इसे बढ़ाकर 100 दिन करेंगे। हमें आपकी दया नहीं चाहिए। इसलिए मैं यह नोट फाड़ रही हूं। मुझे लगता है कि यह अपमानजनक है।”

बनर्जी ने इस टकराव को सम्मान और संघीय अधिकारों की लड़ाई बताते हुए कहा, “बंगाल ने कभी अपना सिर नहीं झुकाया और न ही कभी झुकाएगा। बंगाल जानता है कि सिर ऊंचा करके कैसे चलना है।”

उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण रोजगार योजना के तहत केंद्र से बड़ी राशि अब भी लंबित है।

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, “केंद्र सरकार ने मनरेगा बंद कर दिया। यहां तक कि उच्च न्यायालय ने भी हमारे पक्ष में आदेश दिया है। हमारी पार्टी के सदस्य विरोध करने दिल्ली गए। हर प्रदर्शनकारी सांसद के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। हमने जो ट्रेन बुक की थी, उसे रद्द कर दिया गया। एक मंत्री ने हमें मिलने का समय दिया, लेकिन नहीं आए।”

उन्होंने कहा, “2021 तक हम मनरेगा, आवास योजना और ग्रामीण सड़क विकास में सबसे आगे थे। उन्होंने ईर्ष्या और द्वेष के कारण ये सब बंद कर दिया है।”

बनर्जी ने कहा, “हमें मनरेगा के लिए 51,627 करोड़ रुपये नहीं मिले। उन्होंने इस पैसे को छिपाकर रखा है। चुनाव से ठीक पहले, वे कहेंगे कि उन्होंने पैसा जारी कर दिया लेकिन फिर विकास कार्य करने के लिए समय नहीं बचेगा। अगर वे दिसंबर में भी पैसा देते हैं तो वित्त वर्ष मार्च में समाप्त हो जाएगा, जिससे हमारे पास काम करने का समय नहीं बचेगा।”

भाषा जितेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल


लेखक के बारे में