वैवाहिक बलात्कार : कार्यकर्ताओं ने फैसले को ‘निराशाजनक’ बताया

वैवाहिक बलात्कार : कार्यकर्ताओं ने फैसले को 'निराशाजनक' बताया

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  • Publish Date - May 11, 2022 / 06:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में बुधवार को खंडित निर्णय सुनाया और कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को ‘निराशाजनक’ बताते हुए उम्मीद जतायी कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में ‘अधिक समझदारी’ दिखाएगा।

महिला कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि मौजूदा प्रावधान बलात्कार पीड़ितों की एक श्रेणी के खिलाफ भेदभावकारी हैं। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सदस्य कविता कृष्णन ने कहा, ‘उच्च न्यायालय का फैसला निराशाजनक और परेशान करने वाला है। कानूनी मुद्दा काफी स्पष्ट है और यह बलात्कार पीड़ितों की एक श्रेणी – पत्नियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। मुझे उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस शर्मनाक कानून को हटाने के लिए जरूरी साहस और स्पष्टता दिखाएगा।’

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह मामला उच्चतम न्यायालय के पाले में डाल दिया है।

महिला समूह सहेली ट्रस्ट की सदस्य वाणी सुब्रमण्यम ने सवाल किया कि अगर घरेलू हिंसा अपराध है तो वैवाहिक बलात्कार किस प्रकार अपराध नहीं है। उसने कहा कि किसी महिला की शादी हो गई तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसने हमेशा के लिए सहमति दे दी है।

इस बीच बलात्कार विरोधी कार्यकर्ता योगिता भयाना इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि कम से कम वैवाहिक बलात्कार मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है। उनका मानना ​​है कि इस मामले को उच्चतम न्यायालय भेज दिया गया है, इसलिए इस मामले पर विस्तृत चर्चा होगी।

उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि इसे उच्चतम न्यायालय की पीठ के पास भेजा गया है क्योंकि अब आदेश निष्पक्ष होगा। इस विषय को लेकर बहस शुरू हो गई है। एक साल पहले तक लोग इस बारे में बात भी नहीं कर रहे थे। अब उन्होंने चर्चा शुरू कर दी है।’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में खंडित फैसला सुनाया। अदालत के एक न्यायाधीश ने इस प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है। खंडपीठ ने पक्षकारों को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने की छूट दी।

खंडपीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत प्रदत्त यह अपवाद असंवैधानिक नहीं हैं और संबंधित अंतर सरलता से समझ में आने वाला है।

भाषा

अविनाश माधव

माधव