मनरेगा ने ग्रामीण लोगों को महामारी से लड़ने में मदद की: अधिकारी

मनरेगा ने ग्रामीण लोगों को महामारी से लड़ने में मदद की: अधिकारी

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  • Publish Date - July 23, 2022 / 02:30 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने महामारी के तनाव से निपटने में ग्रामीणों की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और उनके लिए महामारी से पहले के समय की तुलना में अधिक कार्यदिवस उत्पन्न हुए। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी दे दी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने शुक्रवार देर शाम ‘‘महामारी के दौरान महिलाएं, अनुभव और अवसर’’ विषयक एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 2019 में कुल 260 करोड़ व्यक्ति कार्यदिवस बनाए गए और 2021 में यह संख्या बढ़कर 390 करोड़ व्यक्ति कार्यदिवस हो गई।

मनरेगा एक श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा पहल है जिसका उद्देश्य काम के अधिकार की गारंटी देना है। सिन्हा ने कहा कि मनरेगा ने कोविड-19 महामारी के दबाव से निपटने में ग्रामीण समुदायों की जरूरतों को पूरा करने में ‘‘बहुत महत्वपूर्ण भूमिका’’ निभायी।

चर्चा में मौजूद शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए योजना को एक उपकरण के रूप में लागू करने का आह्वान किया।

येल विश्वविद्यालय के मैकमिलन सेंटर में दक्षिण एशिया अर्थशास्त्र अनुसंधान निदेशक चैरिटी ट्रॉयर मूर ने कहा कि नीति स्वयं महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सीधे आकार दे सकती है और उन कुछ ‘‘प्रतिबंधात्मक लिंग मानदंडों’’ को भी आकार दे सकती है जो महिलाओं को श्रम कार्यबल में प्रवेश करने से रोकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस (ग्रामीण) परिदृश्य में पुरुष वास्तव में अपनी पत्नियों के काम करने को सामाजिक कलंक या बदनामी के रूप देखते हैं। पुरूषों में यह धारणा है कि अगर उनकी पत्नी घर से बाहर काम करती है तो उनके पूरे समुदाय को यह संकेत जाएगा कि वह गरीब है।’’

येल विश्वविद्यालय में आर्थिक विकास केंद्र की निदेशक रोहिणी पांडेय ने कहा कि महामारी के दौरान शहरी श्रम बल की भागीदारी कम थी लेकिन अपेक्षाकृत स्थिर थी।

भाषा सुरभि अमित

अमित