अगस्त माह में तीन तलाक के महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ के तीन जजों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा था- इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है। जबकि इससे पहले चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रक्रिया और भावनाओं से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता।
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पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा था कि इस मुद्दे पर सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है संसद और केंद्र सरकार, उन्हें ही इस पर कानून बनाना चाहिए। सरकार को कानून बनाकर इस पर एक स्पष्ट दिशा निर्देश तय करने चाहिए। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इसके लिए केंद्र सरकार को छह महीने का समय दिया।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम सामाज की महिलाओं में न्याय की एक आशा जगी थी जिसे मोदी सरकार तोड़ना नहीं चाहती है। इसलिए सरकार एक साथ ट्रिपल तलाक पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने जा रही है, माना जा रहा है कि इस शीतकालीन सत्र में सरकार ट्रिपल तलाक के लिए विधेयक ला सकती है। इस पर कानून बनाने के लिए मंत्री समिति का गठन किया गया है।
अर्जुन सिंह, IBC24