अटल जी के निधन पर भावुक हुए प्रधानमंत्री मोदी, ब्लॉग में लिखा- कैसे मान लूं कि वो अब नहीं रहे

अटल जी के निधन पर भावुक हुए प्रधानमंत्री मोदी, ब्लॉग में लिखा- कैसे मान लूं कि वो अब नहीं रहे

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  • Publish Date - August 17, 2018 / 07:09 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

नई दिल्ली। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने अपने ब्लॉग में उन्हें भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। मोदी ने ब्लॉग अपनी लेख में अटलजी के साथ बिताए पलों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा- “अटलजी नहीं रहे। वह मेरी आंखों के सामने हैं। बिल्कुल स्थिर। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से मुझे बाहों में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटलजी की यह स्थिरता मुझे झकझोर रही है। अस्थिर कर रही है। एक जलन सी है आंखों में। कुछ कहना है, बहुत कुछ कहना है लेकिन कह नहीं पा रहा। मैं खुद को बार-बार यकीन दिला रहा हूं कि अटलजी अब नहीं हैं, लेकिन यह विचार आते ही खुद को इस विचार से दूर कर रहा हूं। क्या अटलजी वाकई नहीं हैं? नहीं। मैं उनकी आवाज अपने भीतर गूंजते हुए महसूस कर रहा हूं।”

“कैसे कह दूं? कैसे मान लूं? वे अब नहीं हैं। उनसे पहली मुलाकात की स्मृति ऐसी है जैसे कल की बात हो। जब पहली बार उनके मुंह से मेरा नाम निकला था, वह आवाज कई दिनों तक मेरे कानों से टकराती रही। मैं कैसे मान लूं कि वह आवाज अब चली गई है? कभी सोचा नहीं था कि अटल जी के बारे में ऐसा लिखने के लिए कलम उठानी पड़ेगी। देश की विकास यात्रा में असंख्य लोगों ने जीवन समर्पित किया। लेकिन स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त, सुरक्षित भारत के लिए अटलजी ने जो किया, वह अभूतपूर्व है।”

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‌पोखरण देश के लिए जरूरी था तो प्रतिबंधों और आलोचनाओं की चिंता नहीं की। काल के कपाल पर लिखने और मिटाने की ताकत उनके सीने में थी, क्योंकि वह सीना देश प्रथम के लिए धड़कता था।” हार और जीत उन पर असर नहीं करती थी। सरकार बनी तो भी, एक वोट से गिरा दी गई तो भी, उनके स्वरों में पराजय को भी विजय के ऐसे गगनभेदी विश्वास में बदलने की ताकत थी कि जीतने वाला ही हार मान बैठे।”

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“गरीब, वंचित, शोषित का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए वह जीवनभर प्रयासरत रहे। गरीब को अधिकार दिलाने के लिए आधार जैसी व्यवस्था, प्रक्रियाओं का सरलीकरण, हर गांव तक सड़क, स्वर्णिम चतुर्भुज, विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, राष्ट्र निर्माण के उनके संकल्पों से जुड़ा था। आज भारत जिस टेक्नोलॉजी के शिखर पर खड़ा है, उसकी आधारशिला अटल जी ने ही रखी थी।”

 

 

वेब डेस्क, IBC24