धर्म संसद पर मोदी की चुप्पी भारतीय लोकतंत्र का खुला मज़ाक है: आईएमएसडी

धर्म संसद पर मोदी की चुप्पी भारतीय लोकतंत्र का खुला मज़ाक है: आईएमएसडी

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  • Publish Date - January 18, 2022 / 06:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) ‘इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेलुकर एंड डेमोक्रेसी’ (आईएमएसडी) ने हरिद्वार में हुई ‘धर्म संसद’ में भारतीय मुसलमानों के नरसंहार का कथित रूप से आह्वान करने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को मंगलवार को ‘घिनौना नाटक’ और भारतीय लोकतंत्र का ‘खुला मज़ाक’ बताते हुए उनसे पूछा कि वह भारत और दुनिया के मुसलमानों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

आईएमएसडी ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री सामूहिक हत्या के कथित आह्वान पर भी खामोशी धारण करने वाले लोकतांत्रिक दुनिया के एकमात्र नेता हैं। उसने आरोप लगाया कि खुले-आम नफरत फैलाने वाली धर्म संसद उसी “हिंदुत्व फैक्टरी” का अभिन्न अंग है जिसको समय बेसमय मोदी खुद ईंधन प्रदान करते हैं।

बयान में ‘ग्लोबल जेनोसाइड वॉच’ के अध्यक्ष डॉ ग्रेगरी स्टैंटन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणियों और 2020 में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के कथित ‘गोली मारो’ नारे को लेकर कार्रवाई नहीं करने का भी जिक्र है।

इस बयान में अभिनेता नसरूद्दीन शाह, डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार आनंद पटवर्धन व शमा ज़ैदी, गीतकार जावेद अख्तर, फिल्म लेखक अंजुम राजाबली, पत्रकार अस्करी ज़ैदी, कुर्बान अली, जावेद नकवी और लेखक राम पुनिया समेत 278 बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर हैं।

आईएमएसडी ने कहा कि ‘धर्म संसद’ पर बोलने और उसके सदस्यों पर कठोर कार्रवाई करने के लिए देश-विदेश के कई लोगों ने प्रधानमंत्री से मांग की है, बावजूद इसके वह खमोश हैं और उनका “मौन बहुत कुछ कहता है” और यह “भारतीय लोकतंत्र का खुला मज़ाक है।”

बयान में ‘ग्लोबल जेनोसाइड वॉच’ के अध्यक्ष डॉ ग्रेगरी स्टैंटन के हवाले से कहा गया है कि भारत के नेता होने के नाते प्रधानमंत्री का फर्ज़ था कि वह इसकी निंदा करते लेकिन उन्होंने एक शब्द नहीं कहा।

बयान में यह भी कहा गया है कि 2020 में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में चुनावी सभा के दौरान कथित रूप से ‘गोली मारो’ का नारा लगवाया था तब भी प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा था और अब नरसंहार के आह्वान पर भी वह चुप हैं।

बयान में आरोप लगाया गया है,“ प्रधानमंत्री का चुप्पी तोड़ने से इनकार उसी घिनौने नाटक का हिस्सा है।”

बयान में कुछ महीने पहले आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत की इस टिप्पणी का जिक्र किया गया है कि “सभी भारतीयों का डीएनए समान है” और “मुसलमानों के बिना हिंदुत्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। यदि कोई हिंदू कहता है कि मुसलमानों को भारत में नहीं रहना चाहिए, तो वह हिंदू नहीं है। ”

बयान में मुसलमानों के नरसंहार के कथित आह्वान को लेकर भागवत की चुप्पी पर सवाल भी सवाल उठाया गया है।

इसमें पूछा गया है कि मोदी और भागवत अपनी चुप्पी से देश और दुनिया के मुसलमानों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

भाषा नोमान नोमान नरेश

नरेश