मुल्लापेरियार बांध : उच्चतम न्यायालय ने कहा, अधिसूचित जलस्तर को सभी पक्ष मानेंगे

मुल्लापेरियार बांध : उच्चतम न्यायालय ने कहा, अधिसूचित जलस्तर को सभी पक्ष मानेंगे

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  • Publish Date - October 28, 2021 / 09:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:49 PM IST

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि विशेषज्ञ समिति द्वारा अधिसूचित जलस्तर का तमिलनाडु और केरल पालन करेंगे जिसके मुताबिक मुल्लापेरियार बांध में 10 नवंबर तक इसे 139.5 फुट तक बनाए रखना है।

मुल्लापेरियार बांध का निर्माण 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर किया गया था।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ ने कहा कि समिति पर निर्भर करता है कि वह जलस्तर पर अपने निर्णय की समीक्षा करे, अगर इस तरह की कोई स्थिति पैदा होती है।

पीठ ने कहा, ‘‘सभी पक्षों की आशंकाओं को दूर करने के लिए फिलहाल वे विशेषज्ञ समिति द्वारा अधिसूचित जलस्तर बनाए रखने का पालन करेंगे।’’ पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार भी थे।

इसने कहा, ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि यह समिति पर निर्भर करता है कि समय-समय पर वह अपने निर्णय की समीक्षा करे जिसमें स्थिति के मुताबिक हर घंटे पर समीक्षा भी शामिल है।’’

शीर्ष अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 11 नवंबर तय की ताकि केरल सरकार बेहतर हलफनामा दायर कर सके।

इसने कहा कि केरल आठ नवंबर तक या इससे पहले हलफनामा दायर करेगा और सभी पक्ष हलफनामा या याचिका सुनवाई की अगली तारीख से पहले ई-फाइलिंग के माध्यम से दायर कर सकते हैं।

इससे पहले केरल ने एक लिखित नोट दायर कर बताया कि बांध 126 वर्ष पुराना है जो चूना-सुर्खी कंक्रीट से बना है और ज्यादा समय का होने के कारण इसकी स्थिति खराब होती जा रही है।

भाषा नीरज नीरज माधव

माधव