एनएएसी की मान्यता प्रक्रिया लंबी और बोझिल : संसदीय समिति

एनएएसी की मान्यता प्रक्रिया लंबी और बोझिल : संसदीय समिति

एनएएसी की मान्यता प्रक्रिया लंबी और बोझिल : संसदीय समिति
Modified Date: December 9, 2025 / 09:24 pm IST
Published Date: December 9, 2025 9:24 pm IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) एक संसदीय समिति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों की मान्यता या पुनःमान्यता की वर्तमान प्रक्रिया लंबी, नौकरशाहीपूर्ण और बोझिल है। इसके साथ ही समिति ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) में तत्काल प्रणालीगत सुधारों का आह्वान करते हुए कहा कि इसकी विश्वसनीयता तत्परता से बहाल की जानी चाहिए।

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) में नेतृत्व की गैर-मौजूदगी की ओर भी इशारा किया और सिफारिश की कि आयोग के लिए जल्द से जल्द किसी नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी चाहिए।

समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘मान्यता या पुनःमान्यता की वर्तमान प्रक्रिया लंबी और नौकरशाहीपूर्ण है, जिसमें पांच साल में पुनःमान्यता और वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने में विश्वविद्यालय प्रशासकों को काफी समय लगता है। इस प्रक्रिया में मान्यता टीम का संस्थान दौरा भी शामिल है, जो बोझिल है।

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समिति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एनएएसी की मान्यता प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है, ताकि पूरी प्रक्रिया त्वरित हो और यह नौकरशाही की अनावश्यक बाधाओं से मुक्त हो।

एनएएसी से जुड़े रिश्वतखोरी मामले का जिक्र करते हुए, समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिश्वतखोरी के एक हालिया मामले की जांच चल रही है। समिति ने सिफारिश की कि इस मामले में गहन आंतरिक जांच शुरू की जानी चाहिए और जांच के निष्कर्षों को समिति के साथ साझा किया जाना चाहिए।

समिति ने कहा कि एनएएसी की विश्वसनीयता बहाल करना ज़रूरी है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि यूजीसी के अध्यक्ष का पद अप्रैल 2025 से रिक्त है। उसने सरकार को याद दिलाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, निकाय के प्रमुख का पद रिक्त नहीं रहेगा।

भाषा अविनाश सुरेश

सुरेश


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