एनसीपीसीआर ने मप्र की ‘डिस्टिलरी’ से मुक्त कराए गए बच्चों की चिकित्सा जांच की पैरवी की

एनसीपीसीआर ने मप्र की ‘डिस्टिलरी’ से मुक्त कराए गए बच्चों की चिकित्सा जांच की पैरवी की

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  • Publish Date - June 19, 2024 / 09:22 PM IST,
    Updated On - June 19, 2024 / 09:22 PM IST

नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मध्य प्रदेश की एक ‘डिस्टिलरी’ (शराब कारखाना) से 59 बच्चों को मुक्त कराए जाने के कुछ दिनों बाद उन सभी की विस्तृत चिकित्सा जांच और लापता लोगों के लिए प्रासंगिक कानूनों के तहत नई प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।

रायसेन जिले में ‘डिस्टलरी’ से 39 लड़के और 19 लड़कियों को बचाया गया था।

एनसीपीसीआर की ओर से जारी बयान के अनुसार, आयोग और ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ (बीबीए) ने शनिवार को ‘सोम डिस्टिलरी’ पर कार्रवाई का नेतृत्व किया था।

एनसीपीसीआर की जांच में खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों के सबूत सामने आए। इसमें कहा गया है कि कई बच्चों ने रसायनों के संपर्क में आने से अपने हाथों को जला लिया है।

आयोग ने बच्चों पर ऐसी स्थितियों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।

आयोग ने रायसेन के जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को एक विस्तृत पत्र भेजा है, जिसमें जिले में ‘डिस्टिलरी’ में बाल श्रम कानूनों के गंभीर उल्लंघन को उजागर किया गया है।

भाषा हक हक पवनेश

पवनेश