बंगाल के सीमावर्ती शहर बनगांव में पशु तस्करी पर कार्रवाई के बाद नयी समस्याएं

बंगाल के सीमावर्ती शहर बनगांव में पशु तस्करी पर कार्रवाई के बाद नयी समस्याएं

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  • Publish Date - May 18, 2024 / 04:54 PM IST,
    Updated On - May 18, 2024 / 04:54 PM IST

(प्रदीप्त तापदार)

बनगांव(पश्चिम बंगाल), 18 मई (भाषा) भारत-बांग्लादेश सीमा से लगे बनगांव शहर में मवेशियों की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई के बाद तस्करी की अन्य गतिविधियां, मालवाहक ट्रकों के आवागमन नियमों में बदलाव, युवाओं के अन्य राज्यों में प्रवास और बढ़ती बेरोजगारी नये मुद्दे बनकर उभरे हैं।

दशकों से, बनगांव पशु तस्करी का पर्याय रहा है, जहां अंधेरे में पशुओं के झुंड को अवैध रूप से सीमा पार ले जाया जाता है। कई लोगों का कहना है कि प्रभावशाली और शक्तिशाली व्यक्तियों की संलिप्तता वाला करोड़ों रुपये का यह अवैध कारोबार क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए मुफीद है।

हालांकि, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कड़े कदमों के कारण पिछले कुछ वर्षों में बनगांव क्षेत्र में पशु तस्करी पूरी तरह से बंद होने की बात कही जा रही है।

दक्षिण बंगाल सीमांत क्षेत्र के बीएसएफ के एक वरिष्ठ वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मवेशी तस्करी अब पूरी तरह से बंद हो गई है। इसमें शामिल रहे अधिकांश लोग अब सोना, फेंसेडिल सिरप, मादक पदार्थों और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की तस्करी करने लगे हैं, जबकि अन्य लोग वैध नौकरियों व कामों की तलाश में अन्य स्थानों पर चले गए हैं।’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थानीय विधायक अशोक कीर्तनिया ने स्वीकार किया कि पशु तस्करी पर कार्रवाई के कारण दूसरी तरह की प्रतिक्रिया हुई है।

उन्होंने कहा, ‘लोग इस अवैध व्यापार में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से शामिल थे। जो लोग सीधे तौर पर शामिल थे, उन्होंने कारोबार बदल लिया, लेकिन जो लोग अप्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल थे, उनमें से ज्यादातर गरीब थे और अब नयी नौकरियों व कारोबार की तलाश में दूसरे राज्यों में चले गए हैं।’

क्षेत्र के निवासियों ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सीमा पार करने वाले वाहनों के लिए ‘‘ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग’’ प्रणाली की शुरुआत प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की थी, लेकिन इससे स्थानीय लोगों की आर्थिक परेशानियां बढ़ गई हैं।

राज्य ने मालवाहक वाहनों के रोके जाने के समय को कम करने के लिए बनगांव में पेत्रपोल भूमि सीमा पर स्लॉट बुकिंग प्रणाली शुरू की, जिससे निर्यातकों को स्थानीय ट्रकों में माल स्थानांतरित किए बिना सीधे बांग्लादेश भेजने की अनुमति मिल गई।

नये नियम से स्थानीय ट्रक ऑपरेटर नाराज हैं, जिससे वाहन मालिकों, चालकों, ट्रांसपोर्टर और मजदूरों के लिए आजीविका की समस्या पैदा हो गई है। ट्रांसपोर्टर का कहना है कि माल को पहले विभिन्न स्थानीय गोदामों में उतारा और लादा जाता था, जिससे उस क्षेत्र के हजारों लोगों को रोजगार मिलता था जो अब खत्म हो गया है।

ट्रक ऑपरेटर अनिल सरकार ने कहा, ‘स्लॉट बुकिंग प्रणाली चीजों को आसान बनाने के लिए थी। इसके बजाय, इसने स्थानीय ट्रांसपोर्टर के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक समस्याएं पैदा कर दी हैं, जिनके पास अब नौकरियां नहीं हैं। पंजाब से आने वाला ट्रक अब सीधे स्लॉट बुकिंग के जरिये सीमा पार ले जाया सकता है। पहले यहां माल उतारकर स्थानीय ट्रकों से बांग्लादेश ले जाया जाता था।”

भाजपा के जिला अध्यक्ष देबदास मंडल ने कहा, ‘बनगांव में 80 प्रतिशत लोग आयात-निर्यात व्यवसाय में शामिल हैं। यहां 200 ट्रांसपोर्टर, 150 से 200 गोदाम और उनके कर्मचारी, 7,000 से अधिक ट्रक ड्राइवर और हजारों लोग ऐसे हैं जो अपनी नौकरी खो देंगे। हम राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध करते हैं।”

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस को लगता है कि इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और राज्य सरकार ने बेरोजगारी दूर करने के लिए सभी उपाय किए हैं।

तृणमूल नेता रतन घोष ने कहा, ‘नयी प्रणाली इसलिए शुरू की गई ताकि यहां कई दिन तक इंतजार करने के दौरान वस्तुएं खराब न हो। अगर इससे कुछ समस्याएं पैदा हुई हैं, तो राज्य सरकार ने उनका हल करने के लिए पर्याप्त उपाय किए हैं।’

बनगांव के लोग फिलहाल इन अनिश्चितताओं के बीच संघर्ष कर रहे हैं। क्षेत्र में पांचवें चरण के दौरान 20 मई को मतदान होना है।

भाषा जोहेब सुभाष

सुभाष