Elusive Wren Babblers: इस प्रदेश में मिली व्रेन बैबलर्स की दुर्लभ प्रजाति, जानें इसकी खासियत

Elusive Wren Babblers : पक्षी प्रेमियों ने सुदूर पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश में मायावी व्रेन बैबलर्स की एक नयी प्रजाति का पता लगाया है ....

  •  
  • Publish Date - December 10, 2022 / 04:24 PM IST,
    Updated On - December 10, 2022 / 11:50 PM IST

ईटानगर। Elusive Wren Babblers : पक्षी प्रेमियों ने सुदूर पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश में मायावी व्रेन बैबलर्स की एक नयी प्रजाति का पता लगाया है जिसे उन्होंने लिसु व्रेन बैबलर नाम दिया है। बेंगलुरु, चेन्नई और तिरुवनंतपुरम के पक्षी प्रेमियों वाली टीम ने इस साल मार्च में अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले की मुगाफी चोटी पर व्रेन बैबलर्स की इन नयी प्रजातियों को देखा था। व्रेन बैबलर एक प्रकार का नन्हा पक्षी है, जो सदाबहार जंगलों की घनी झाड़ियों में पाए जाते हैं, खासकर बहते पानी के आस-पास पाए जाते हैं।

read more : राज्यपाल अनुसुइया ने सरकार पर उठाया सवाल, पूछा- ‘76% आरक्षण संशोधन विधेयक का आधार क्या?’ 

अरुणाचल प्रदेश के दो मार्गदर्शकों के साथ टीम के सदस्य दुर्लभ और मायावी ग्रे बेलिड व्रेन बैबलर की तलाश में क्षेत्र में पहुंचे थे, जो ज्यादातर म्यांमार में तथा चीन और थाईलैंड में कम संख्या में पाए जाते हैं। लेकिन, यह संयोग ही था कि यह पक्षी मिला। व्रेन बैबलर्स की एक नयी प्रजाति की खोज के बारे में ‘इंडियन बर्ड्स’ द्वारा जानकारी प्रकाशित की गई थी, जो दक्षिण एशियाई पक्षीविज्ञान की एक सहकर्मी-समीक्षित पत्रिका है।

read more : बिलाबॉन्ग मामले में अदालत ने सुनाया फैसला, दोनों आरोपियों पर आरोप सिद्ध, 3 साल की बच्ची से किया गया था दुष्कर्म 

भारत में 1988 में उसी पहाड़ी क्षेत्र में व्रेन बैबलर के देखे जाने की केवल एक रिपोर्ट मिली है। दो तस्वीरें तब एकत्र की गई थीं और उनमें से एक पक्षी विज्ञानी पामेला रासमुसेन द्वारा पहचाने जाने के बाद अब अमेरिका के स्मिथसोनियन संग्रहालय में है। उन्होंने 2005 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में व्रेन बैबलर की प्रजातियों को शामिल किया था। व्रेन बैबलर्स की नयी प्रजाति के बारे में बात करते हुए पक्षी प्रेमियों की टीम के सदस्य प्रवीण जे ने कहा, ‘‘ जिन पक्षियों को हमने देखा उनका एक मधुर गीत था जो नागा व्रेन बैबलर के गीतों के समान था और ग्रे-बेल्ड व्रेन बैबलर के तिहार बिल्लोर गीत के विपरीत था। ’’