राजा राममोहन राय की 250वीं जयंती पर उनकी नयी प्रतिमा का अनावरण किया गया |

राजा राममोहन राय की 250वीं जयंती पर उनकी नयी प्रतिमा का अनावरण किया गया

राजा राममोहन राय की 250वीं जयंती पर उनकी नयी प्रतिमा का अनावरण किया गया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : May 22, 2022/6:50 pm IST

कोलकाता, 22 मई (भाषा) केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने राजा राममोहन राय को महान समाज सुधारक एवं दूरदृष्टा करार देते हुए उनकी 250वीं जयंती के मौके पर रविवार को यहां साल्ट लेक में ‘बंगाल के पुनर्जागरण के जनक’ की प्रतिमा का डिजिटल तरीके से अनावरण किया।

इस अवसर पर साइंस सिटी में एक कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हए रेड्डी ने अमानवीय सती प्रथा को समाप्त करने के लिए अपने संघर्ष को लेकर चर्चित राजा राममोहन राय को ‘एक चिंतक, शिक्षाविद, पत्रकार एवं दूरदृष्टा’ बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘राममोहन राय एक महान समाज सुधारक, चिंतक, शिक्षाविद, पत्रकार एवं दूरदृष्टा थे। वह न केवल बंगाल, बल्कि देश के लिए भी गौरव थे। उनकी प्रतिमा लगाने से वर्तमान युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।’’

केंद्र सरकार के निकायों द्वारा आयोजित इन दोनों ही कार्यक्रमों में पश्चिम बंगाल सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा।

राज्य सरकार ने भी उनकी जयंती मनायी तथा उनके पूर्व निवास पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उनका पूर्व निवास अब कोलकाता पुलिस संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है, जिसमें मुख्य रूप से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा इस्तेमाल में लाये गये हथियारों को प्रदर्शित किया गया है।

अक्सर ‘आधुनिक भारत के जनक’ एवं ‘बंगाल के पुनर्जागरण के जनक’ कहे जाने वाले राजा राममोहन राय भारत के अग्रणी समाज एवं धर्म सुधारकों में एक थे, जिन्होंने सतीप्रथा, बाल विवाह एवं बहुविवाह के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। उन्होंने हिंदू धर्म में सुधार के लिए ‘ब्रह्म समाज’ नामक आंदोलन चलाया।

बंगाली, संस्कृति, पारसी, अरबी और अंग्रेजी भाषा जानने वाले राममोहन राय को मुगल शासक अकबर द्वितीय ने ‘राजा’ की उपाधि’ प्रदान की। उन्होंने हिंदू कॉलेज (जो अब प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय है) की स्थापना के लिए स्कॉटलैंड के परोपकारी डेविड हेयर से हाथ मिलाया तथा महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकार एवं प्रेस की आजादी की तरफदारी की।

साइंस सिटी में कार्यक्रम में मौजूद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि राममोहन राय ने आत्मीय सभा की स्थापना की, जिसने उपनिषदों का अंग्रेजी, हिंदी एवं बंगाल में अनुवाद को संभव बनाया।

भाषा राजकुमार सुरेश

सुरेश

 

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