एनएचआरसी ने अमेजॉन के गोदाम में ‘श्रमिक विरोधी चलन’ को लेकर केंद्र को नोटिस जारी किया

एनएचआरसी ने अमेजॉन के गोदाम में 'श्रमिक विरोधी चलन' को लेकर केंद्र को नोटिस जारी किया

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  • Publish Date - June 19, 2024 / 10:08 PM IST,
    Updated On - June 19, 2024 / 10:08 PM IST

नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने हरियाणा के मानेसर में अमेजॉन इंडिया कंपनी के एक गोदाम में कथित तौर पर ‘श्रमिक विरोधी गतिविधियों’ को लेकर केंद्र को नोटिस जारी किया है। आयोग की वेबसाइट पर मामले की कार्यवाही को साझा किया गया है।

आयोग ने कहा कि एक प्रकाशित समाचार की सामग्री अगर सही है तो यह श्रम कानूनों तथा केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों और श्रमिकों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है।

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि उसने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि हरियाणा के मानेसर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के गोदाम में 24 वर्षीय एक कर्मचारी को शपथ दिलायी गई कि अपनी टीम के 30 मिनट के चाय ब्रेक के बाद, जब तक वे 24 फुट लंबे छह ट्रकों से सारे सामान नहीं उतार लेते, तब तक शौचालय या पानी के लिए ब्रेक नहीं लेंगे।’

इस रिपोर्ट में कहा गया कि मानेसर गोदाम में कार्यरत एक महिला कर्मचारी ने कथित तौर पर कहा कि कार्यस्थल पर शौचालय की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।

आयोग ने अपनी वेबसाइट पर साझा किए गए मामले की कार्यवाही में कंपनी का नाम – अमेजॉन इंडिया बताया है।

संपर्क किए जाने पर, कंपनी ने कहा कि उसके कर्मचारी ‘अपनी शिफ्ट के दौरान शौचालय का उपयोग करने, पानी लेने या प्रबंधक से बात करने के लिए अनौपचारिक ब्रेक लेने को स्वतंत्र हैं। हमारे कर्मचारियों और सहयोगियों की सुरक्षा और कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारे केंद्रों को सुरक्षित और आरामदायक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारी सभी इमारतों में तापमान सूचकांक निगरानी उपकरण हैं और हम तापमान में होने वाले बदलाव पर लगातार नजर रखते हैं, खास तौर पर गर्मियों में। अगर हमें अपनी इमारतों के अंदर अधिक गर्मी या नमी मिलती है, तो हमारी टीम आरामदायक काम करने की स्थिति प्रदान करने के लिए कार्रवाई करती हैं, जिसमें अस्थायी रूप से काम को निलंबित करना भी शामिल है।’

मानवाधिकार आयोग ने कहा कि भारत के श्रमिक संगठनों ने मानेसर और उसके आसपास के पांच गोदामों पर कारखाना अधिनियम, 1948 के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। आयोग ने कहा कि श्रम निरीक्षक इसमें सुधार की मांग कर सकते हैं, लेकिन इसका क्रियान्वयन सीमित है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि सरकार श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने का प्रयास कर रही है।

नोटिस में कहा गया है, ‘श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का उचित भुगतान सुनिश्चित करने के अलावा, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकारी योजनाएं शुरू की गई हैं। इसमें सुरक्षित कार्य वातावरण, खतरनाक कार्य स्थितियों में सुरक्षा उपकरण, चिकित्सा बीमा और नियोक्ताओं द्वारा श्रमिकों की मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच शामिल है।’

देश के विकास और श्रमिकों को अधिकतम लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में ‘श्रमेव जयते’ योजना शुरू की गई थी। इसके साथ ही मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम, 2017 भी लागू हुआ, जिसके तहत सवेतन मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया।

रिपोर्ट के अनुसार सप्ताह में पांच दिन दस घंटे काम करने वाले और 10,088 रुपये प्रति माह कमाने वाले एक कर्मचारी ने कहा कि अगर वे 30 मिनट के भोजन और चाय ब्रेक सहित बिना ब्रेक के लगातार काम करते हैं, तो भी वे प्रतिदिन चार से अधिक ट्रक से सामान नहीं उतार सकते।

बयान में खबर के हवाले से कहा गया है कि एक महिला कर्मचारी ने दावा किया कि वह रोजाना नौ घंटे खड़ी रहती है और उसे ड्यूटी के दौरान प्रति घंटे 60 छोटे उत्पादों या 40 मध्यम आकार के उत्पादों की जांच करनी पड़ती है।

इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस बहुराष्ट्रीय कंपनी पर ऐसे आरोप लगाये गए हैं।

भाषा अविनाश माधव

माधव