गैर-भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र से फैसलों को नहीं थोपने व जीएसटी मुआवजा अवधि बढ़ाने की मांग की |

गैर-भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र से फैसलों को नहीं थोपने व जीएसटी मुआवजा अवधि बढ़ाने की मांग की

गैर-भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र से फैसलों को नहीं थोपने व जीएसटी मुआवजा अवधि बढ़ाने की मांग की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : August 8, 2022/12:08 am IST

नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) कुछ गैर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने रविवार को केंद्र से कहा कि वह अपनी नीतियों को ‘जबरन’ नहीं थोपे, बल्कि सहकारी संघवाद को मजबूत करे।

उन्होंने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से राजस्व में आई कमी के कारण राज्यों को मुआवजा भुगतान के लिए तय अवधि को पांच साल और बढ़ाने की भी मांग की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में मुख्यमंत्रियों ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में राज्यों को समर्थन, फसल बीमा और किसान क्रेडिट कार्ड, सिंचाई सुविधाएं, खनिजों के लिए रॉयल्टी दरों में संशोधन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति आदि से संबंधित मुद्दे भी उठाए थे।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र को राज्य सरकारों की मांगों को ‘‘अधिक गंभीरता से’’ देखना चाहिए। ममता ने बैठक में कहा कि राज्य सरकारों पर कोई नीति नहीं थोपी जानी चाहिए और उन पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र तथा राज्यों के बीच ‘‘अधिक सहयोग’’ का आह्वान किया।

इसी क्रम में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि केंद्र को संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं जाना चाहिए और इसकी समवर्ती सूची में सूचीबद्ध विषयों पर राज्यों के परामर्श से कानून बनाया जाना चाहिए। विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार को संविधान की राज्य सूची के मामलों पर कानून बनाने से बचना चाहिए।

उन्होंने केंद्र से कहा कि वह संघवाद को ‘‘चुनौती’’ नहीं दे। विजयन ने कहा कि केरल की कर्ज सीमा को बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए क्योंकि राज्य कोविड के कारण उत्पन्न आर्थिक समस्याओं से अभी उबर नहीं पाया है।

उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर परिषद का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि आवश्यक वस्तुओं पर कर लगाने के निर्णय की समीक्षा करने की आवश्यकता है। विजयन ने अनुरोध किया कि राज्यों को जीएसटी मुआवजा अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखा जाए।

विजयन ने कहा कि केरल ने सत्ता के विकेंद्रीकरण की अपनी पहल के तहत स्थानीय स्वशासी निकायों को संविधान की 11वीं और 12वीं अनुसूची में उल्लेखित पंचायतों और नगर पालिकाओं से संबंधित मामले सौंपे हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए केंद्र को राज्यों को समेकित धन वितरित करते समय इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने नारियल से मूल्यवर्धित उत्पादों के विनिर्माण, ताड़ के तेल के उत्पादन के लिए नए प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और मूंगफली उत्पादन के लिए केंद्र से तकनीकी समर्थन और आर्थिक मदद का भी अनुरोध किया।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को केंद्र से अपनी मांग दोहराई कि जीएसटी लागू करने से राजस्व में आई कमी के एवज में राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अवधि पांच साल के लिए बढ़ाई जाए। उन्होंने छत्तीसगढ़ को कोयला एवं अन्य प्रमुख खनिजों के बदले मिलने वाली रॉयल्टी की दरों में संशोधन की मांग भी रखी।

नीति आयोग की संचालन समिति की सातवीं बैठक को संबोधित करते हुए बघेल ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति, कोयला ब्लॉक कंपनियों से ‘अतिरिक्त कर’ के रूप में एकत्रित राशि का स्थानांतरण और नक्सलवाद के सफाए के लिए राज्य सरकार के व्यय किए 11,828 करोड़ रुपये की भरपाई करना राज्य की मांगे हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी बयान में बघेल के हवाले से कहा गया कि जीएसटी कर प्रणाली की वजह से राज्यों को राजस्व घाटा हुआ है। राज्य को अगले वर्ष होने वाले करीब 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र ने कोई बंदोबस्त नहीं किया गया है लिहाजा जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान जून 2022 के बाद अगले पांच वर्ष के लिए जारी रहना चाहिए।

एक जुलाई 2017 को राष्ट्रव्यापी जीएसटी लागू होने पर राज्यों को राजस्व में आने वाली कमी की क्षतिपूर्ति करने का निर्णय लिया गया था जिसकी अवधि इस साल 30 जून को खत्म हो गई।

गैर-भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़, केरल और राजस्थान पहले भी क्षतिपूर्ति की अवधि पांच साल बढ़ाने की मांग कर चुके हैं।

बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार के तीन साल के बजट में केंद्रीय करों से 13,089 करोड़ रुपये कम मिले थे, जिससे राज्य के संसाधनों पर दबाव बहुत बढ़ गया। उन्होंने कोयला एवं अन्य प्रमुख खनिजों के लिए रॉयल्टी दरों में भी संशोधन का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने न्यू पेंशन योजना में जमा पर रिफंड जैसी राज्य सरकार की अन्य लंबित मांगों पर भी त्वरित कार्रवाई की मांग की।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा उठाया। आम आदमी पार्टी (आप) नेता ने केंद्र से वैकल्पिक फसलों के लिए ‘फुलप्रूफ मार्केटिंग सिस्टम’ सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मान ने कहा कि कृषि अब एक लाभदायक उद्यम नहीं है और किसानों को इस स्थिति से उबारने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए, जिसके लिए केंद्र सरकार को कदम उठाना चाहिए।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रविवार को कहा कि उनका राज्य लगभग हर साल प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होता है, लिहाजा उसे विशेष ‘फोकस’ राज्य बनाने और इसके लिए धन आवंटित करने की जरूरत है।

पटनायक ने यह आग्रह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की संचालन परिषद की यहां आयोजित सातवीं बैठक को संबोधित करते हुए किया।

एक बयान के मुताबिक पटनायक ने इस बैठक में कहा कि राज्य और केंद्र सरकारें राजनीतिक संस्थाएं हैं और कभी-कभी केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में विवाद भी होते हैं। नीति आयोग एक लोकपाल की तरह इन मुद्दों को हल कर सकता है।

उन्होंने कहा कि इससे सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिलेगा और योजनाओं का तेजी से क्रियान्वयन होगा। पटनायक ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में ‘टीम इंडिया’ ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अपना दृढ़संकल्प दिखाया है।’

उन्होंने देश को गौरवान्वित करने वाले एथलीटों को बधाई देते हुए कहा कि आज भारत राष्ट्रमंडल खेलों में अपना खेल कौशल दिखा रहा है। पटनायक ने कहा कि भारत एक आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए तैयार है और नीति आयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए केंद्र से विशेष पैकेज की मांग की है। उन्होंने राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए पैकेज की भी मांग की। उन्होंने नीति आयोग के हस्तक्षेप की मांग करते हुए सभी बैंकों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति की सुविधा के लिए आवश्यक निर्देश देने को कहा।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार कृषि क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है क्योंकि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में इसकी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है। इसी प्रकार, शिक्षा के क्षेत्र में परिणामों में सुधार लाने और बच्चों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रभावी नीतियां लागू की जा रही हैं।

अमरावती में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने दो क्षेत्रों में अपनी सरकार की पहल पर प्रकाश डाला।

भाजपा शासित राज्यों में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि राज्य में नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल और फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत धान के स्थान पर 46,249 हेक्टेयर क्षेत्र का विविधिकरण किया गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत के 5000 अरब अमेरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को पूरा करने में उनके राज्य का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होगा और आने वाले पांच वर्षों में यह 1000 अरब अमेरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करेगा।

भाषा सुरभि धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)